कितने शरीफ लोग थे सब खुल के आ गए... राहत इंदौरी की कमाल की गजल

अंदर का ज़हर चूम लिया धुल के आ गए, कितने शरीफ़ लोग थे सब खुल के आ गए

सूरज से जंग जीतने निकले थे बेवक़ूफ़, सारे सिपाही मोम के थे घुल के आ गए

मस्जिद में दूर दूर कोई दूसरा न था, हम आज अपने आप से मिल-जुल के आ गए

नींदों से जंग होती रहेगी तमाम उम्र, आँखों में बंद ख़्वाब अगर खुल के आ गए

सूरज ने अपनी शक्ल भी देखी थी पहली बार, आईने को मज़े भी तक़ाबुल के आ गए

अनजाने साए फिरने लगे हैं इधर उधर, मौसम हमारे शहर में काबुल के आ गए

शायरी

बता दें की राहत इंदौरी ने एक से बढ़कर एक शायरी लिखी है. उनकी गजलें लोगों को खूब पसंद है.

शेर

राहत इंदौरी ने कई शेर ऐसे लिखे हैं, जो आज भी लोगों की जुबान पर रहते हैं.

Disclaimer

यहां दी गई गजल राहत इंदौरी ने लिखी है. Zee Bharat ने इन्हें इंटरनेट से लिया है.