इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं... राहत इंदौरी के ये जबरदस्त शायरी जरूर पढ़ें

आग में फूलने-फलने का हुनर जानते हैं, न बुझा हमको के जलने का हुनर जानते हैं

ख़्वाबों में जो बसी है वो दुनिया हसीन है, लेकिन नसीब में वही दो गज़ ज़मीन है

पहले दीप जलें तो चर्चे होते थे, और अब शहर जलें तो हैरत नहीं हो

लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यूं हैं, इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यूं हैं

मुहब्बतों का सबक़ दे रहे हैं दुनिया को, जो ईद अपने सगे भाई से नहीं मिलते

हमसे पहले भी मुसाफ़िर की गुज़रे होंगे, कम से कम राह का पत्थर तो हटाते जाते

ये हादसा तो किसी दिन गुज़रने वाला था, मैं बच भी जाता तो इक रोज मरने वाला था

दरबदर जो थे वो दीवारों के मालिक हो गए, मेरे सब दरबान, दरबानों के मालिक हो गए

Disclaimer

यहां दिए गए शेर राहत इंदौरी ने लिखी है. Zee Bharat ने इसे इंटरनेट लिया है.