दर्द, दुआ, ख्वाब, दवा, जहर, जाम क्या क्या है, मैं आ रहा हूं, बता इंतजाम क्या क्या है
जुबान तो खोल, नज़र तो मिला, जवाब तो दे, मैं कितनी बार लुटा हूं, हिसाब तो दे,
बुलाती है मगर जाने का नहीं, ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
अगर खिलाफ है होने दो, जान थोड़ी है, ये सब धुआं है, कोई आसमान थोड़ी है
आंखों में पानी रखो, होंठो पे चिंगारी रखो, जिंदा रखना है तो तकलीफे बहुत सारी रखो
जो दौर है दुनिया का उसी दौर से बोलो, बहरों का इलाका है जरा जोर से बोलो
अकेला खुश हूं मैं परेशान मत कर, इश्क़ है तो इश्क़ कर एहसान मत कर
घर के बाहर ढूंढ़ता रहा दुनिया, घर के अंदर दुनियादारी मिली
यहां दिए गए शेर राहत इंदौरी द्वारा रचित हैं. Zee Bharat ने इन्हें इंटरनेट से लिया है.