हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं, मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं
तेरी महफ़िल से जो निकला तो ये मंज़र देखा, मुझे लोगों ने बुलाया मुझे छू कर देखा
सूरज सितारे चांद मिरे साथ में रहे, जब तक तुम्हारे हाथ मिरे हाथ में रहे
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए, ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए
मैं मर जाऊं तो मेरी एक अलग पहचान लिख देना, लहू से मेरी पेशानी पे हिंदुस्तान लिख देना
रात की धड़कन जब तक जारी रहती है, सोते नहीं हम ज़िम्मेदारी रहती है
चराग़ों का घराना चल रहा है, हवा से दोस्ताना चल रहा है
दिन ढल गया तो रात गुज़रने की आस में, सूरज नदी में डूब गया हम गिलास में
यहां लिखे गए शेर राहत इंदौरी द्वारा रचित हैं. Zee Bharat ने इन्हें इंटरनेट से लिया है.