सावन में अपने पार्टनर को भेजें ये शायरी, उम्दा तरीके से करें इश्क का इजहार

गोपालदास नीरज

अब के सावन में शरारत ये मिरे साथ हुई, मेरा घर छोड़ के कुल शहर में बरसात हुई

नीना सहर

कल तिरे एहसास की बारिश तले, मेरा सूना-पन नहाया देर तक

अज्ञात

जो गुजरे इश्क में सावन सुहाने याद आते हैं, तेरी जुल्फों के मुझको शामियाने याद आते हैं

जमाल एहसानी

तमाम रात नहाया था शहर बारिश में, वो रंग उतर ही गए जो उतरने वाले थे

नासिर काज़मी

याद आई वो पहली बारिश, जब तुझे एक नज़र देखा था

नज़ीर क़ैसर

बरस रही थी बारिश बाहर, और वो भीग रहा था मुझ में

सदार आसिफ़

हो लेने दो बारिश हम भी रो लेंगे, दिल में हैं कुछ ज़ख़्म पुराने धो लेंगे

हारून फ़राज़

पड़े हैं नफ़रत के बीच दिल में बरस रहा है लहू का सावन, हरी-भरी हैं सरों की फ़सलें बदन पे ज़ख़्मों के गुल खिले हैं

Disclaimer

यहां दिए गए शेर Zee Bharat ने इंटरनेट से लिए गए हैं.