महाभारत में दुर्योधन के पिता राजा धृतराष्ट्र नेत्रहीन थे. संजय उनके करीबी माने जाते थे. वे ही उन्हें आंखो देखा हाल बताते थे.
ऐसा माना जाता है कि महाभारत के युद्ध का सजीव वर्णन करने के लिए संजय को दिव्य दृष्टि मिली थी.
बता दें कि संजय महर्षि वेद व्यास के शिष्य हुआ करते थे. राजा धृतराष्ट्र की राजसभा का संजय भी हिस्सा थे.
ऐसा कहा जाता है कि जैसे ही महाभारत का युद्ध खत्म हुआ संजय दिव्य दृष्टि भी चली गई.
युद्ध खत्म होने के बाद संजय कई सालों तक राजा युधिष्ठर के राज्य में रहते रहे.
फिर संजय अपने राजा धृतराष्ट्र, गांधारी और कुंती के साथ संन्यास लेकर चले गए.
पौराणिक कथाएं कहती हैं कि धृतराष्ट्र की मृत्यु के बाद संजय हिमालय चले गए थे.
बता दें कि श्री कृष्ण का विराट स्वरूप अर्जुन के अलावा संजय ही देख पाए थे. क्योंकि उनके पास तब दिव्य दृष्टि हुआ करती थी.
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