तांबे के बर्तन में ही क्यों खाना बनाती थी द्रौपदी

दुर्योधन की दुष्टता

दुर्योधन की दुष्टता की वजह द्रौपदी और पाडंवों को वनवास में रहना पड़ा था.

वनवास

द्रौपदी और पांडवों के लिए वनवास का जीवन बेहद कठिन था. इस दौरान उन्हें जंगल में रहना पड़ा था.

तांबे के बर्तन में खाना

क्या आप जानते हैं वनवास के दौरान पांडवों के लिए द्रौपदी केवल तांबे के बर्तन में खाना बनाती थी.

द्रौपदी को वरदान

द्रौपदी को सूर्य देव से वरदान के तौर पर तांबे का बर्तन अक्षय पात्र दिया था, जिसकी अपनी खासियत थी.

सूर्यदेव

इस पात्र में सूर्यदेव ने वरदान दिया था कि द्रौपदी अगर इसमें खाना बनाएंगी तो भोजन की कमी नहीं होगी.

जब खत्म हो गया था भोजन

एक बार जब सभी पांडव खाना खाकर सो गए थे, भोजन खत्म हो गया था तब दुर्योधन ने दुष्टता से दुर्वासा ऋषि को उनके पास भेज दिया.

ऋषि का नहीं होगा सत्कार

दुर्योधन को लगा कि अगर पांडव के घर भोजन नहीं है ऐसे में ऋषि का सत्कार नहीं कर पाएंगे और वह क्रोधित होकर श्राप देंगे.

अक्षय पात्र

अक्षय पात्र की वजह से द्रौपदी को भोजन की कमी नहीं हुई. पांडवों की इस आवभगत से दुर्वासा ऋषि प्रसन्न होकर गए.

अन्न नहीं पड़ा कम

इसी वजह से वनवास में रहने के बाद पांडवों के लिए कभी अन्न की कमी नहीं हुई.

Disclaimer

यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee bharat इसकी पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर ले लें.