शिव की नगरी काशी को भगवान शिव ने बनाया है, जहां लोग मोक्ष की प्राप्ति की कामना करते हैं.
पौराणिक कथाओं के अनुसार श्री कृष्ण ने इसे भस्म कर दिया था, चलिए जानते हैं ऐसा क्यों हुआ था?
कथा के अनुसार द्वापर युग में मगध राज्य में जरासंध का शासन था. वह इतना क्रूर था कि प्रजा उससे थर-थर कांपती थी.
जरासंध की दो बेटियां अस्ति और प्रस्ति थीं, जिनकी शादी उसने मथुरा नरेश कंस से हुई थी.
जब भगवान श्री कृष्ण के द्वारा कंस का वध हुआ तो जरासंघ इस खबर से तिलमिला उठा, उसने काशी नरेश के साथ मिलकर कृष्ण पर हमला किया.
इस युद्ध में काशी नरेश मारा गया, जिससे क्रोधित होकर उसके पुत्र ने कृष्ण से बदला लेने की ठानी. उसने शिव की कठोर तपस्या कर कृष्ण की मृत्यु का वरदान मांगा.
विवश होकर शिव जी को वरदान देना पड़ा और एक कृत्या दी, लेकिन उन्होनें कहा कि अगर यह शस्त्र किसी ब्राम्हण को लगा तो इसका प्रभाव उल्टा पड़ जायेगा.
काशी नरेश के लड़के को यह नही पता था कि भगवान कृष्ण श्री हरि का रूप हैं, जो खुद एक ब्राम्हण हैं. इसी वजह से शस्त्र चलाने पर वह वापस काशी लौट गई.
कृत्या शस्त्र को रोकने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपना सुदर्शन चक्र छोड़ दिया. काशी पहुंचते ही चक्र ने शस्त्र के साथ पूरी काशी नगरी को भस्म कर दिया.
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