Climate Change: टेम्प्रेचर जर्नल में हाल ही में प्रकाशित हुए साइंटिफिक रिव्यू को 150 से ज्यादा स्टडीज का विश्लेषण करने के बाद किया गया है. इसके मुताबिक, अधिक गर्मी बच्चों की सक्रियता को कम कर रही है. एक तो प्रदूषण और गर्मी शरीर को डैमेज कर रहा है, दूसरा दूसरी बीमारियां भी हो रहीं हैं.
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Global Warming and its Side Effects on Children: ग्लोबल वॉर्मिंग की वजह से हो रहे क्लाइमेट चेंज का असर पूरी दुनिया पर पड़ रहा है. बढ़ती गर्मी ने लोगों को परेशान कर रखा है. इसके कई नुकसान पहुंच रहे हैं. टेम्प्रेचर जर्नल में हाल ही में एक नया साइंटिफिक रिव्यू प्रकाशित हुआ. इसमें बताया गया है कि भीषण गर्मी की वजह से बच्चे पर्याप्त शारीरिक गतिविधियां नहीं कर पा रहे हैं. यह निष्कर्ष 150 से ज्यादा स्टडीज का विश्लेषण करने के बाद निकाला गया है.
पैरेंट्स की तुलना में 30 प्रतिशत तक कमोजर हैं बच्चे
इस रिसर्च में ये भी निकलकर आया है कि आज के बच्चे अपने पैरेंट्स के समान उम्र की तुलना में 30% कम फिट हैं. फिटनेस कम होने की वजह से वे ज्यादा गर्मी से निपटने के लिए बिल्कुल न के बराबर तैयार हैं. प्रदूषण के कारण एयर क्वॉलिटी का ग्राफ लगातार खराब हो रहा है. खराब हवा से कई तरह की बीमारी का खतरा बना रहता है.
गर्मी से कम हो रही है बच्चों की सक्रियता
इस स्टडी की लेखक शांडा मॉरिसन, ल्यूबलियाना यूनिवर्सिटी स्लोवेनिया में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. वह कहती हैं कि, बाहरी दुनिया का वातावरण हर आदमी के लिए खतरनाक हो रहा है, चाहे बच्चे हो यां बड़े, हर किसी पर स्वास्थ्य संबंधी असर पड़ रहा है. उन्होंने अपनी टीम के साथ पिछले दिनों क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) के बच्चों पर पड़ने वाले असर को लेकर एक स्टडी की थी. इसमें जो नतीजे आए वे काफी चौंकाने वाले थे. दरअसल, ये साफ हो रहा था कि अधिक गर्मी बच्चों की सक्रियता को कम कर रही है. एक तो प्रदूषण और गर्मी शरीर को डैमेज कर रहा है, दूसरा अलग-अलग बीमारियां भी लोगों को अपनी चपेट में ले रहीं हैं. इस स्टडी में 2018 की एक रिपोर्ट का भी जिक्र है. इस रिपोर्ट में 49 देशों में बच्चों की गतिविधियों के स्तर की तुलना की गई थी. इस दौरान पाया गया कि केवल 39% या उससे कम बच्चे ही पर्याप्त शारीरिक गतिविधि कर पाते हैं.
बचपन में सक्रियता की कमी का जीवनभर असर
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मानें तो किसी भी बच्चे को एक दिन में औसतन कम से कम 1 घंटे तक फिजिकल एक्टिविटी करने की जरूरत होती है, लेकिन अधिकतर बच्चे ऐसा नहीं कर पाते हैं. बाद में जब ये बच्चे बड़े होते हैं तो, उस वक्त भी पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं कर पाते.
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