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पेरिस: वर्ष 2015 में दुनिया भर में कुल 110 पत्रकार मारे गए हैं। रिपोर्टर्स विदआउट बॉर्डर्स (आरएसएफ) ने मंगलवार को यह जानकारी देते हुए चेताया कि ज्यादातर को उनके काम के लिए शांतिपूर्ण माने जाने वाले देशों में जानबूझकर निशाना बनाया गया है। निगरानी समूह ने अपने वाषिर्क लेखा- जोखा में कहा कि इस साल 67 पत्रकार अपनी ड्यूटी करते हुए मारे गए, जबकि 43 के मरने की परिस्थिति साफ नहीं है।
इसके अलावा 27 गैर-पेशेवर ‘सिटीजन जर्नलिस्ट’ और सात अन्य मीडियाकर्मी भी मारे गए हैं। रिपोर्ट कहती है कि ज्यादातर पत्रकारों की हत्या उनके खिलाफ जानबूझकर की गई हिंसा का नतीजा थी और यह मीडियाकर्मियों की रक्षा की पहलों की विफलता हो दर्शाता है। रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है। आरएसएफ की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2015 की शुरूआत से नौ पत्रकार मारे गए, उनमें कुछ संगठित अपराध और राजनेताओं से इसके संबंध की रिपोर्ट करने के दौरान मारे गए और अन्य को अवैध खनन को कवर करने की वजह से अपनी जान गवांनी पड़ी।
भारत में अपनी ड्यूटी करने के दौरान पांच पत्रकार मारे गए, जबकि चार अन्य के मरने के कारणों का पता नहीं है। इसलिए भारत की रैंक फ्रांस के नीचे आती हैं जहां पर मौत की वजहों की जानकारी है। आरएसएफ ने कहा कि पत्रकारों की मौत इस बात की पुष्टि करती है कि भारत मीडियाकर्मियों के लिए एशिया का सबसे घातक देश है जिसका नंबर पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों से पहले आता है। आरएसएफ ने भारत सरकार से पत्रकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय योजना लागू करने का आग्रह किया है।