पुतिन के कर्मों की सजा भुगत रहा 198 साल पुराना पेड़, जानें क्या है मामला?
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पुतिन के कर्मों की सजा भुगत रहा 198 साल पुराना पेड़, जानें क्या है मामला?

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कर्मों की सजा अब एक पेड़ को भी भुगतनी पड़ी है. करीब 198 साल के इस फेमस रूसी पेड़ को ‘यूरोपियन ट्री ऑफ द ईयर’ प्रतियोगिता में एंट्री नहीं दी गई है. आयोजकों ने यूक्रेन पर रूसी हमले के चलते ऐसा किया है.

फाइल फोटो

ब्रसेल्स: रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) के कर्मों की सजा उनके परिवार के साथ-साथ एक पेड़ को भी भुगतनी पड़ रही है. सुनने में भले ही अजीब लगे, लेकिन यही हकीकत है. दरअसल, रूस के 198 साल के फेमस ओक के पड़े (Russian Oak Tree) की ‘यूरोपियन ट्री ऑफ द ईयर’ (European Tree of the Year) प्रतियोगिता में एंट्री बैन कर दी गई है. इसकी वजह है रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला. बता दें कि इससे पहले जंग के चलते पुतिन की बड़ी बेटी का घर उजड़ने की खबर आई थी.

  1. एंट्री से पहले ही पेड़ को अयोग्य करार दिया
  2. 2011 में हुई थी प्रतियोगिता की शुरुआत
  3. रूस के खिलाफ बढ़ता जा रहा है गुस्सा
  4.  

रूसी उपन्यासकार ने लगाया था 

'मिरर' की रिपोर्ट के अनुसार, इस पेड़ को रूसी उपन्यासकार इवान तुर्गनेव (Ivan Turgenev) द्वारा लगाया गया था और अब यह पेड़ व्लादिमीर पुतिन के कर्मों की सजा भुगत रहा है. ब्रसेल्स (Brussels) में एक पैनल द्वारा पेड़ को प्रतियोगिता में हिस्सा लेने से पहले ही अयोग्य घोषित कर दिया गया. पैनल ने अपने बयान में कहा है कि ऐसा रूस द्वारा यूक्रेन पर हमला बोलने के चलते किया गया है.

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क्या है Competition का मकसद?

‘यूरोपियन ट्री ऑफ द ईयर’ प्रतियोगिता की शुरुआत 2011 में हुई थी. इसका मकसद ऐतिहासिक पेड़ों की मौजूदगी को सेलिब्रेट करना और देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करना है. लेकिन मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए आयोजकों को लगा कि उनके लिए वैश्विक राजनीति से खुद को अलग रखना बहुत मुश्किल है. इसलिए रूस की कार्रवाई के प्रति नाराजगी जताने के लिए उन्होंने रूसी पेड़ को प्रतियोगिता का हिस्सा नहीं बनने दिया. 

पोलैंड का ये पेड़ बना विजेता

बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हुए कार्यक्रम में पोलैंड के बियालोविजा जंगल में मौजूद 400 साल पुराने ओक के पेड़ (Oak Tree) को विजेता घोषित किया गया है. जजों के पैनल ने कहा कि ये पेड़ पोलैंड के प्रतिरोध का प्रतीक बन चुका है. वहीं, दूसरे स्थान पर स्पेन के सैंटियागो डे कंपोस्टेला क्षेत्र का 250 साल पुराना ओक का पेड़ रहा और तीसरा स्थान पुर्तगाल के एक गांव वेले डो पेरेइरो के 250 साल पुराने पेड़ को मिला. 15 देशों ने इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था.  

रूस ने पहले हासिल की थी जीत

आयोजकों में से एक जोसेफ जरी ने कहा कि रूस की एंट्री को रोकना दर्दनाक था. उन्होंने कहा, ‘मैं कल्पना कर सकता हूं कि बहुत से सामान्य रूसी लोगों ने बिना किसी राजनीतिक हित के अपने प्यारे पेड़ के लिए मतदान किया और वे बहुत निराश हुए होंगे.’ इस प्रतियोगिता से बैन किए जाने से पहले रूस लगातार चार सालों तक पहले, दूसरे या तीसरे स्थान पर रहा था. 

 

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