29 साल की इस महिला की वजह से ही मुमकिन हो पाई ब्‍लैक होल की पहली तस्‍वीर
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29 साल की इस महिला की वजह से ही मुमकिन हो पाई ब्‍लैक होल की पहली तस्‍वीर

मैसाचुसेट्स इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी से ग्रेजएट कैथरीन ने यह कामयाबी अपने अल्‍गोरिदम (कलन गणित) के जरिये हासिल की है.

कैथरीन बूमैन. फोटो facebook

नई दिल्‍ली : वैज्ञानिकों ने 10 अप्रैल के दिन दुनिया को वो ऐतिहासिक फोटो दिखाई, जिसका इंतजार कई दशकों से किया जा रहा था. यह तस्‍वीर थी ब्रह्मांड में मौजूद ब्‍लैक होल की. यह असाधारण वैज्ञानिक उपलब्धि 200 से अधिक शोधकर्ताओं की एक टीम हासिल की है. लेकिन इस टीम में एक महिला भी शामिल है, जिसके कारण ही दुनिया को यह तस्‍वीर मिल पाई है. इन महिला का नाम है कैथरीन बूमैन. मैसाचुसेट्स इंस्‍टीट्यूट ऑफ टेक्‍नोलॉजी से ग्रेजएट कैथरीन ने यह कामयाबी अपने अल्‍गोरिदम (कलन गणित) के जरिये हासिल की है.

दरअसल कैथरीन खगोलविद नहीं हैं. वह कंप्‍यूटर अलगोरिदम की विशेषज्ञ हैं. उनका काम है खगोलविदों द्वारा प्राप्‍त किए गए ब्रह्मांड के डाटा को तस्‍वीर का रूप देना. ऐसा ही उन्‍होंने ब्‍लैक होल की तस्‍वीर के मामले में किया. वैज्ञानिकों और खगोलविदों ने विभिन्‍न स्रोतों से ब्‍लैक होल के संबंध में अहम डाटा जुटाए. इसके बाद कैथरीन ने इस डाटा को अपने कंप्‍यूटर अल्‍गोरिदम के जरिये तस्‍वीर को रूप दिया है.

 

खगोलविदों ने बुधवार को ब्लैकहोल की पहली तस्वीर जारी की थी. ब्रह्माण्ड में मौजूद ब्लैकहोल में मजबूत गुरुत्वाकर्षण होता है और यह तारों को निगल जाता है. ब्लैक होल करीब 500 मिलियन ट्रिलियन किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसे आठ अलग-अलग टेलीस्कोप की मदद से तस्वीरों में कैद किया गया है. ब्लैक होल M87 गैलेक्सी का हिस्सा है.

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यह ब्लैक होल M87 गैलेक्सी का हिस्सा है. (फाइल फोटो)

खगोलविदों ने ब्रसेल्स, शंघाई, टोक्यो,सैंटियागो, वाशिंगटन और ताइपे में अलग अलग संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि गहरे रंग की आकृति के पीछे से नारंगी रंग की गैस और प्लाजमा आकाशगंगा में पांच करोड़ प्रकाशवर्ष दूर एक गहरे काले गोले को दिखाता है जिसे एम87 कहते हैं. हार्वर्ड एंड स्मिथसोनियन में सेंटर फॉर एस्ट्रोफिजिक्स के ईवेंट होरिजन टेलीस्कोप (ईएचटी) के प्रोजेक्ट निदेशक शेपर्ड एस डोलेमैन ने कहा, ‘‘हमने एक ब्लैक होल की पहली तस्वीर ली है.’’ 

अंतरिक्ष में एक बहुत ही शक्तिशाली गुरुत्वाकर्षण शक्ति वाला वह पिंड या स्थान जो संपर्क में आने वाली हर छोटी-बड़ी वस्तु को यहां तक कि प्रकाश को भी अपने अंदर अवशोषित कर लेता है इसलिए इसे विशालकाय ब्लैकहोल (काले रंग के छिद्र) के रूप में जाना जाता है.

वहीं भारतीय वैज्ञानिकों ने ब्लैकहोल की अपनी तरह की पहली वास्तविक तस्वीरों का संकलन किए जाने की सराहना करते हुए इसे ‘‘असाधारण उपलब्धि’’ बताया है. वैज्ञानिकों के अनुसार ये तस्वीरें अंतरिक्ष की रहस्यमयी चीजों और मिल्की वे जैसी आकाशगंगाओं के समय के साथ विकसित होने पर प्रकाश डालती है.

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