World War II में जापान के आत्मसमर्पण से जुड़ी वो 5 खास बातें जो आप जानना चाहेंगे
Victory over Japan Day का संक्षिप्त नाम है V-J Day. इसे संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके युद्ध सहयोगियों ने और जापान के एशियाई पीड़ितों ने इसे जीत का दिन कहा था. जापान के ये पीड़ित वो लोग थे जिन्होंने वर्षों के अत्याचार और उत्पीड़न से मुक्ति पाई थी.
नई दिल्ली: 75 साल पहले 2 सितंबर 1945 को जापान ने आत्मसमर्पण (Japan's Surrender) के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर कर द्वितीय विश्व युद्ध को समाप्त किया था. इसके साथ ही 4 साल से जर्मनी और इटली के साथ चल रही लड़ाई भी खत्म हो गई थी. आइए जानते हैं जापान के आत्मसमर्पण से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण बातें -
Victory over Japan Day का संक्षिप्त नाम है V-J Day. इसे संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके युद्ध सहयोगियों ने और जापान के एशियाई पीड़ितों ने इसे जीत का दिन कहा था. जापान के ये पीड़ित वो लोग थे जिन्होंने वर्षों के अत्याचार और उत्पीड़न से मुक्ति पाई थी.
ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, नीदरलैंड और कोरिया सहित कुछ देश 15 अगस्त को जापान के आत्मसमर्पण का दिन मानते हैं. जबकि संयुक्त राज्य अमेरिका सहित अन्य इसके लिए 2 सितंबर का दिन मानते हैं. इसी दिन जापान ने औपचारिक तौर पर आत्मसमर्पण पर हस्ताक्षर किए थे. इसे लेकर तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने कहा था कि वी-जे डे की घोषणा को तब तक इंतजार करना पड़ा जब तक जापान ने आधिकारिक रूप से आत्मसमर्पण की शर्तों पर हस्ताक्षर नहीं कर दिया था.
फिलीपींस, चीन और रूस 3 सितंबर को जापान के आत्मसमर्पण का दिन मानते हैं. जापान 15 अगस्त को शोक दिवस के रूप में मनाता है.
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युद्धपोत पर हुए थे हस्ताक्षर
आत्मसमर्पण पर हस्ताक्षर USS Missouri युद्धपोत पर किए गए थे. इसमें टोक्यो ने 9 मित्र देशों के प्रतिनिधियों से पहले हस्ताक्षर किए थे, जिसमें ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड शामिल थे.
इस प्रक्रिया को पूरा करने में सिर्फ 23 मिनट लगे थे और इसे दुनिया भर में प्रसारित किया गया था.
साउथवेस्ट पैसिफिक में कमांडर और मित्र राष्ट्रों के लिए सर्वोच्च कमांडर डगलस मैकआर्थर ने उस दिन कहा था कि जापानी और संबद्ध शक्तियां 'अविश्वास, द्वेष या घृणा की भावना से नहीं मिलीं, बल्कि हमारे लिए विजयी और हारे हुए दोनों ही लोग उस उच्च गरिमा को बढ़ाने के लिए हैं जो उन पवित्र उद्देश्यों को लाभ देती हैं, जिनके लिए हम सेवाएं देने वाले हैं.'
विभिन्न प्रतियां
दिलचस्प बात यह है कि जहां मित्र देशों की प्रतिलिपि लेदर की थी और उसमें सामने की ओर दोनों देशों की मुहरों को सोने की किनारी के साथ लगाया गया था, वहीं जापानी प्रतिलिपि कैनवास पर बनी थी और उसमें सामने कोई मुहर भी नहीं थी.
हिरोशिमा और नागासाकी (Hiroshima and Nagasaki)
6 अगस्त को हिरोशिमा पर अमेरिका द्वारा परमाणु बम गिराने और 9 अगस्त को नागासाकी में परमाणु बम गिराने के बाद 15 अगस्त की दोपहर को जापानी सम्राट हिरोहितो ने रेडियो पर जापानी लोगों के लिए आत्मसमर्पण का संदेश प्रसारित किया था. प्रसारण के एक दिन बाद जापान ने संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों को बताया कि वह आत्मसमर्पण कर रहा है और फिर हिरोहितो और जापानी मंत्रियों ने इंपीरियल रिसिप्ट ऑफ सरेंडर पर हस्ताक्षर किए.
सम्राट के रेडियो बयान को 14 अगस्त को ही बेहद गोपनीयता के साथ पहले ही रिकॉर्ड कर लिया गया था. पैलेस के अधिकारियों ने सेना के अधिकारियों से इस रिकॉर्ड की रक्षा की, जिन्होंने उन्हें चोरी करने के लिए महल में तूफान मचा दिया था. सम्राट की आवाज को उस दिन ज्यादातर जापानी पहली बार सुन रहे थे, लेकिन खराब साउंड क्वालिटी के कारण उनकी आवाज सुनना-समझना लगभग असंभव था.