विदेश में हिन्दी की लौ जगाने वाले साहित्यकार अभिमन्यु अनत नहीं रहे
Advertisement

विदेश में हिन्दी की लौ जगाने वाले साहित्यकार अभिमन्यु अनत नहीं रहे

 इस महान साहित्यकार का जन्म 9 अगस्त, 1937 को मॉरिशस के त्रिओले में ही हुआ था. 

अभिमन्यु अनत की मौत की खबर मिलने पर अनंत विजय ने उनके साथ अपनी एक तस्वीर ट्वीट कर उन्हें याद किया है. तस्वीर साभार: ट्विटर पेज-@balendu

मॉरिशस: वैश्विक साहित्यकार अभिमन्यु अनत का 81 वर्ष की उम्र में निधन हो गया है. मॉरिशस में हिन्दी साहित्य के सम्राट अभिमन्यु ने वहीं अंतिम सांस ली. भारत से बाहर हिन्दी को ऊंचाइयों तक पहुंचाने में अहम रोल निभाने वाले अभिमन्यु अनत की मौत से पूरा साहित्य जगत सदमे में है. इस महान साहित्यकार का जन्म 9 अगस्त, 1937 को मॉरिशस के त्रिओले में ही हुआ था. उन्होंने 18 साल तक हिन्दी का अध्यापन किया और तीन वर्षों तक युवा मंत्रालय में 'नाट्य कला विभाग' में नाट्य प्रशिक्षक रहे. 

अभिमन्यु अनत भले ही मॉरिशस के थे, लेकिन उनका दिल भारतीय था. दरअसल, उनके पूर्वजों को अंग्रेज श्रमिक के रूप में मॉरिशस लेकर गए थे, फिर यहीं इस महान लेखकर का जन्म हुआ था.

अभिमन्यु अनत की कविताओं में शोषण, दमन और अत्याचार के खिलाफ आवाज बुलंद की गई है. बेरोजगारी की समस्या पर भी अनत की दृष्टि गई है. समसामयिक व्यवस्था पर कवि का भावुक हृदय चीत्कार कर उठता है.

अभिमन्यु अनत की मुख्य रचनाएं
अभिमन्यु अनत ने कविता, कहानी और नाटक तीनों में मजबूती से अपने कलम चलाए हैं. इनके प्रसिद्ध कहानी संग्रह में कहानी संग्रह-एक थाली समन्दर, 
खामोशी के चीत्कार, इंसान और मशीन, वह बीच का आदमी और जब कल आएगा यमराज प्रसिद्ध हैं. नाटकों में विरोध तीन दृश्य, गूंगा इतिहास, रोक दो कान्हा और देख कबीरा हांसी काफी चर्चित हैं.

मॉरीशस सरकार अभिमन्यु अनत को 'मॉरीशस के उपन्यास सम्राट' सम्मानित कर चुकी है. इसके अलावा हिन्दी साहित्य से जुड़े कई और सम्मान इन्हें मिल चुके हैं.

Trending news