अफीम की खेती करने को मजबूर हुए अफगानिस्तान के बच्चे, जानिए वजह
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अफीम की खेती करने को मजबूर हुए अफगानिस्तान के बच्चे, जानिए वजह

 अफगानिस्तान के लोगों ने संकट के हालातों से निपटने के लिए अफीम की खेती करने का नया समाधान खोजा है. 

अफीम की खेती करने को मजबूर हुए अफगानिस्तान के बच्चे, जानिए वजह

काबुल: तालिबानी आतंकवाद, कोरोना वायरस के प्रकोप के बाद अब अफगानिस्तान बाढ़ की मार झेल रहा है. अफगानिस्‍तान यहां की बदहाल अर्थव्यवस्था, बाढ़ जैसे संकटों से एक साथ मुकाबला कर रहा है. इस देश के हालात पहले से ही ठीक नहीं थे और फिर कोरोना महामारी (Pandemic) और बाढ़ (Floods) ने यहां के हाल और भी बेहाल कर दिए हैं. आए दिन ही यहां के स्थानीय कर्मचारियों की नौकरियां जा रही हैं और व्यापार भी ठप्प पड़ा है. ऐसे में अफगानिस्तान के लोगों ने संकट के हालातों से निपटने के लिए अफीम की खेती करने का नया समाधान खोजा है. जी हां, अब यहां के बड़ी संख्या में बेरोजगार लोग अफीम की खेती में अपना रुझान बढ़ा रहे हैं. 

सबसे बड़ा अफीम (Opium) उत्पादक देश
बता दें कि अफगानिस्तान दुनिया का सबसे बड़ा अफीम (Opium) उत्पादक देश है. दुनिया में अफीम की कुल खपत का 80 फीसदी अफगानिस्तान आपूर्ति करता है. जाहिर है कि अफीम के कारोबार में यहां के हजारों युवक भी शामिल हैं. यह वाकई अफसोस की बात है कि बड़ी संख्या में यहां के स्थानीय लोग अपनी अजीविका के लिए सबसे अच्छा समाधान अफीम ​​(poppy fields) की खेती मान रहे हैं.

अफगानिस्तान में कोरोना वायरस महामारी के चलते बहुत से लोगों की नौकरी चली गई है. यही वजह है कि लोग अपना परिवार चलाने के लिए अफीम के खेतों में नौकरियां ढूढ़ने के लिए जा रहे हैं. उरूज़गान प्रांत के 42 वर्षीय फजील ने कहा कोरोना वायरस के चलते मेरी नौकरी चली गई. मेरा परिवार 12 लोगों का है और मैं इकलौता रोटी कमाने वाला हूं. पैसे कमाने के लिए मेरे पास अफीम के खेत में काम करने के अलावा कोई चारा नहीं था.

अफीम के खेतों में आमतौर पर मौसमी रोजगार मिल पाता है. यहां बसंत और गर्मी के मौसम में मजदूरी का काम मिल जाता है. कोरोना वायरस महामारी ने मजदूरों को बहुत डरा दिया है और वे अफीम की खेतों में मजदूर करने से हिचक रहे हैं. इसके चलते पाकिस्तान की सीमा वाले इलाकों में मजदूरों की किल्लत भी महसूस की जा रही है.

मौसमी मजदूरों की कमी और नौकरियों की कमी ने किसानों और बेरोजगारों को एक-दूसरे से आधे-अधूरे मिलने में मदद की. दुखद है कि अफीम के खेतों में ना सिर्फ बेरोजगार हुए मजदूर भाग लेने पहुंच रहे हैं बल्कि इस काम में स्कूल बंद होने के कारण छात्र भी भाग ले रहे हैं.

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