अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में हुआ शांति समझौता, फिर भी US ने जोड़ दी ये 'शर्तें'
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अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में हुआ शांति समझौता, फिर भी US ने जोड़ दी ये 'शर्तें'

कतर की राजधानी दोहा में शनिवार को संयुक्त राज्य अमेरिका और तालिबान के बीच अफगानिस्तान शांति के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए.

 अमेरिका और तालिबान के बीच कतर में ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए.

दोहा: मध्य पूर्वी देश कतर की राजधानी दोहा में शनिवार को संयुक्त राज्य अमेरिका और तालिबान के बीच अफगानिस्तान शांति के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए गए. इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कथित रूप से मौखिक शर्त जोड़ते हुए कि समझौता तभी कारगर साबित होगा, जब तालिबान पूरी तरह से शांति की दिशा में काम करेगा. उन्होंने आगे जोड़ा कि अफगानिस्तान की धरती फिर से अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के लिए आधार के रूप में कार्य न करे, हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा.

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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि हमारी कोशिश तभी वास्तविकता में बदल गई थी, जब तालिबान ने शांति की पहल के लिए अल-कायदा और अन्य विदेशी आतंकवादी समूहों के साथ अपने संबंधों को खत्म करने में रुचि दिखाई थी. आज हम जिस समझौते पर हस्ताक्षर कर रहे हैं, वह इसी कोशिश का सच्चा इम्तहान है.

ऐतिहासिक अमेरिका-तालिबान शांति समझौते पर हस्ताक्षर का गवाह बनने के लिए लगभग 30 देशों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के विदेश मंत्री और प्रतिनिधि पहुंचे हुए थे. दोनों पक्षों के बीच 18 महीनों की वार्ता के बाद यह समझौता हुआ है.

तालिबान ने कहा कि उनके उप नेता और मुख्य वार्ताकार मुल्ला अब्दुल गनी बरादर अफगानिस्तान के इस्लामी अमीरात की ओर से शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए. तालिबान अपने सशस्त्र आंदोलन के लिए इस्लामी अमीरात उपयोग करता रहा है.

कैदियों को रिहा करेंगे
न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने तालिबान के सूत्रों के हवाले से बताया कि अमेरिका और अफगान सरकार तालिबान के 5,000 कैदियों को रिहा करेंगे. वहीं इसके बदले में तालिबान अफगान सरकार के 1,000 कैदियों को मुक्त करेगा. अमेरिका तालिबान से एक गारंटी के बदले अफगानिस्तान से अपने सैनिकों को वापस लेने की समयसीमा भी घोषित करेगा. अमेरिका इस गारंटी पर सैनिकों को हटाएगा कि तालिबान अफगानिस्तान में अलकायदा जैसे आतंकवादी समूहों को काम करने की अनुमति नहीं देगा.

भारत ने किया स्वागत
तालिबान-अमेरिका के बीच समझौते का भारत सरकार ने भी स्वागत किया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, भारत की नीति अफगानिस्तान में शांति, सुरक्षा और स्थिरता लाने वाले सभी अवसरों का समर्थन करने की रही है.

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