'पंजशीर का शेर', जिसकी मौत के 2 दिनों बाद 9/11 हुआ
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'पंजशीर का शेर', जिसकी मौत के 2 दिनों बाद 9/11 हुआ

जब सोवियत संघ ने 1979 में अफगानिस्‍तान पर हमला किया तब कमांडर अब्‍दुल शाह मसूद ने पंजशीर घाटी को रूसियों के सामने झुकने नहीं दिया.

अफगानिस्‍तान ने अहमद शाह मसूद को राष्‍ट्रीय हीरो का दर्जा दिया है. 9 सितंबर, 2001 को अलकायदा ने उनकी हत्‍या कर दी.

1990 के दशक के अंतिम वर्षों में जब अफगानिस्‍तान की धरती कट्टरपंथी तालिबान के जुल्‍मो-सितम (1996-2001) से कराह रही थी और बामियान में बुद्ध की मूर्ति जमींदोज की जा रही थी, उस दौर में इसका प्रतिरोध करने के लिए एक योद्धा खड़ा हुआ. वह खुद भी मुजाहिदीन था लेकिन उसने इस्‍लाम की तालिबानी यानी कट्टरपंथी व्‍याख्‍या को मानने, अपनाने से इनकार कर दिया.

  1. अफगान कमांडर अहमद शाह मसूद को पंजशीर का शेर कहा जाता है
  2. सोवियत संघ और उसके बाद तालिबान उनके जीते-जी पंजशीर घाटी को जीत नहीं सके
  3. तालिबान के खिलाफ नार्थर्न एलाएंस के नेता थे, पश्चिम को अलकायदा के खतरे के बारे में बताया था

वह अपने लोगों के लिए रहनुमा था और उत्‍तरी अफगानिस्‍तान की पंजशीर घाटी का रहने वाला था. जी हां, जब सोवियत संघ ने 1979 में अफगानिस्‍तान पर हमला किया तब कमांडर अब्‍दुल शाह मसूद ने पंजशीर घाटी को रूसियों के सामने झुकने नहीं दिया. इसी तरह जब तालिबान सत्‍ता में आए, उसके बावजूद उनके जीते-जी पंजशीर अजेय बना रहा. इस कारण ही अहमद शाह मसूद को 'पंजशील का शेर' कहा गया और वह तालिबान और अल-कायदा की आंखों की किरकरी बन गए.

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इसके चलते नौ सितंबर, 2001 को अलकायदा के दो आत्‍मघाती आतंकियों ने पत्रकारों का भेष धरकर अहमद शाह मसूद की हत्‍या कर दी. उनकी मौत के दो दिनों के बाद ही ओसामा बिन लादेन के नेतृत्‍व में आतंकी संगठन अलकायदा ने 11 सितंबर, 2001 (9/11) को अमेरिका की समृद्धि के प्रतीक वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर के दोनों टॉवरों पर हमलाकर उसे ध्‍वस्‍त कर दिया. आधुनिक इतिहास में इसको सबसे बड़ी आतंकी घटना कहा जाता है. इस तरह के खतरे की मसूद ने पहले ही चेतावनी दुनिया को दी थी.

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अलकायदा ने 11 सितंबर, 2001 को अमेरिका के वर्ल्‍ड ट्रेड सेंटर पर आतंकी हमला किया.(फाइल फोटो)

अहमद शाह मसूद
1. अहमद शाह मसूद (1953-2001) को 20वीं सदी के सबसे महान गुरिल्‍ला नेताओं में शुमार किया जाता है. उनको गुरिल्‍ला कमांडरों चे ग्‍वेरा, हो ची मिन्‍ह और टीटो की श्रेणी में शुमार किया जाता है.

2. उत्‍तरी अफगानिस्‍तान में स्थित पंजशीर घाटी के बाजाराक में मसूद का जन्‍म दो सितंबर, 1953 को हुआ था. 1970 के दशक में काबुल में पॉलिटेक्निक यूनिवर्सिटी में इंजीनियरिंग की डिग्री लेने के बाद वह इस्‍लामिक आंदोलन का हिस्‍सा बन गए. उस दौर में बुरहानुद्दीन रब्‍बानी कम्‍युनिस्‍टों के खिलाफ इस्‍लामिक आंदोलन के अगुआ थे. रब्‍बानी ने जमात-ए-इस्‍लामी पार्टी बनाई थी और मसूद उसके सदस्‍य बने.

3. सोवियत संघ ने 1979 में अफगानिस्‍तान पर हमला कर दिया, उस दौर (1979-89) में वह शक्तिशाली मुजाहिदीन नेता बनकर उभरे. उनके कुशल नेतृत्‍व के कारण सोवियत लड़ाके पंजशीर घाटी को कभी जीत नहीं पाए और विफल हुए.

4. जब अफगानिस्‍तान में कम्‍युनिस्‍ट शासन समाप्ति की ओर बढ़ रहा था, तब 1992 में उन्‍होंने पेशावर समझौते पर हस्‍ताक्षर किए. नतीजतन वह अफगानिस्‍तान के रक्षा मंत्री और सरकार के प्रमुख मिलिट्री कमांडर बने. गुलबुद्दीन हेकमतयार जैसे सैन्‍य कमांडरों ने जब काबुल पर बम गिराए तब शहर की रक्षा अहमद शाह मसूद के सैनिकों ने ही की.

5. 1996 में तालिबान के सत्‍ता में आने के बाद उन्‍होंने इसका सशस्‍त्र प्रतिरोध किया. वह तालिबान के खिलाफ नार्थर्न एलाएंस के नेता बने और तजाकिस्‍तान चले गए. 2001 में उन्‍होंने यूरोप का दौरा किया और यूरोपीय संसद से आग्रह किया कि वह तालिबान को समर्थन देने वाले पाकिस्‍तान पर दबाव डालें. उसके बाद उसी साल नौ सितंबर, 2001 को उनकी अलकायदा आत्‍मघाती हमलावरों ने हत्‍या कर दी. इस घटना के दो दिनों बाद अमेरिका पर अलकायदा ने आतंकी हमला (9/11) कर दिया. नतीजतन अमेरिका, नाटो और मसूद की सेना ने अफगानिस्‍तान पर हमला बोल दिया. उसके चंद महीनों के भीतर दिसंबर, 2001 में तालिबान को सत्‍ता से बेदखल कर दिया. हामिद करजई के नेतृत्‍व में अफगानिस्‍तान की नई सरकार ने अहमद शाह मसूद को 'राष्‍ट्रीय हीरो' का दर्जा दिया. नौ सितंबर को मसूद की शहादत के कारण अफगानिस्‍तान में राष्‍ट्रीय अवकाश रहता है और इसे वहां 'मसूद दिवस' के रूप में जाना जाता है.

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