कोरोना वैक्सीन न लेने वालों को मौत का खतरा 10 गुना ज्यादा, स्टडी में खुलासा
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कोरोना वैक्सीन न लेने वालों को मौत का खतरा 10 गुना ज्यादा, स्टडी में खुलासा

एक अमेरिकी रिसर्च से पता चला है कि जिन लोगों को कोरोना वायरस का टीका नहीं लगाया गया है, उन लोगों की शॉट लेने वालों की तुलना में संक्रमण से मरने की संभावना 10 गुना बढ़ जाती है. 

रिसर्च में हुआ दावा, नॉन वैक्सीनेटेड लोग 10% ज्यादा मर रहे (सांकेतिक तस्वीर)

वॉशिंगटन: अमेरिका में जो बाइडेन (Joe Biden) प्रशासन ने अधिक से अधिक लोगों को टीका लगवाने के प्रयास तेज कर दिए हैं. वहीं यूएस सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (CDC) ने 3 नए रिसर्चों के माध्यम से कुछ आबादी में इम्युनिटी कम होने पर चिंताओं के बीच भी मृत्युदर को रोकने में कोविड शॉट्स के महत्व पर जोर दिया गया है. इस रिसर्च का नतीजा बीमारी और मृत्युदर साप्ताहिक रिपोर्ट के आधार पर आया है.

  1. अमेरिका में कोरोना वैक्सीन के लेकर हुई नई रिसर्च
  2. अन्य के मुकाबले नॉन वैक्सीनेटेड लोग 10 गुना ज्यादा मर रहे
  3. मॉडर्ना की वैक्सीन ज्यादा कारगर

होश उड़ा रहे हैं रिसर्च के नतीजे

इस रिसर्च से पता चला है कि जिन लोगों को कोरोना वायरस का टीका नहीं लगाया गया है, उन लोगों की शॉट लेने वालों की तुलना में संक्रमण से मरने की संभावना 10 गुना बढ़ जाती है. इस रिसर्च के नतीजे बताते हैं कि वर्तमान में मौजूद कोविड-19 के टीके अधिकतर लोगों को जीवनदान दे रहे हैं. ये टीके इतने कारगर हैं कि डेल्टा वेरिएंट पर भी यह प्रभावी रूप से काम कर रहे हैं. हालांकि टीकाकरण की स्थिति की परवाह किए बिना, यह मृत्युदर बुजुर्ग लोगों के अस्पताल में भर्ती होने पर मापी जाती है.

6 लाख से अधिक कोविड 19 मामलों का किया गया विश्लेषण

इस रिसर्च के लिए, सीडीसी ने 13 राज्यों और कुछ शहरों में 4 अप्रैल से 17 जुलाई तक रिपोर्ट किए गए 6,00,000 से अधिक कोविड-19 मामलों को लिया. इस रिसर्च में 18 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों के अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया.

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जब डेल्टा वेरिएंट ने वायरस के अन्य सभी प्रकारों से मुकाबला करना शुरू किया तो जून महीने के बीच से जुलाई महीने के बीच तक संक्रमण के खिलाफ टीके की प्रभावशीलता 90% से गिरकर 80% तक हो गई जबकि डेल्टा ने अभी तक कोई खास प्रभाव नहीं डाला था. वाशिंगटन पोस्ट ने बताया कि इस पूरी अवधि के दौरान अस्पताल में भर्ती होने और मृत्यु के खिलाफ प्रभावशीलता में बमुश्किल कोई गिरावट देखी गई. एमोरी यूनिवर्सिटी के एक वायरोलॉजिस्ट (Virologist) मेहुल सुथर ने कहा, 'अभी भी 80% हासिल करना एक बहुत अच्छी संख्या है. ये टीके अभी भी एक अत्यधिक पारगम्य संस्करण के खिलाफ हैं.'

मॉडर्ना की वैक्सीन कर रही बेहतर काम

साथ ही एक दूसरी रिसर्च से पता चला है कि कोविड-19 के खिलाफ मॉडर्ना का टीका फाइजर या जॉनसन एंड जॉनसन की तुलना में वायरस के डेल्टा वैरियंट के खिलाफ काफी अधिक प्रभावी है. इस रिसर्च के माध्यम से पता चला कि 18 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में अस्पताल में भर्ती होने से रोकने में मॉडर्ना 95% तक प्रभावी है, जबकि फाइजर 80% प्रभावी और जॉनसन एंड जॉनसन 60% प्रतिशत प्रभावी है.

अस्पतालों के चक्कर से सिर्फ वैक्सीन ही बचा सकती है

अमेरिका में इंडियाना यूनिवर्सिटी के रिर्सर्चर शॉन ग्रैनिस ने कहा, 'ये वास्तविक दुनिया के आंकड़े बताते हैं कि नए कोविड-19 वेरिएंट की मौजूदगी में भी, कोविड-19 संबंधित अस्पतालों में अगर कम चक्कर लगाने हैं तो उसके लिए बस टीके ही काम आने हैं.'

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