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सावधान, यहां छह गुना तेजी से पिघल रही है बर्फ, दुनिया के लिए बनेगी खतरा!

अध्ययन के अनुसार अंटार्कटिका में 2009 से हर साल 278 अरब टन बर्फ पिघल रही है, जबकि 1980 के दशक में 44 अरब टन बर्फ पिघल रही थी.

फोटो साभार : PTI
फोटो साभार : PTI

वॉशिंगटनः  अंटार्कटिका में बर्फ 1980 की तुलना में छह गुना तेजी से पिघल रही है. एक नए अध्ययन में यह खुलासा हुआ है. वैज्ञानिकों ने ऊपर से ली गई तस्वीरों, उपग्रह माप और कंप्यूटर मॉडल का इस्तेमाल कर यह पता लगाया कि 1979 से अंटार्कटिका पर बर्फ कैसे पिघल रही है. उन्होंने पाया कि बर्फ बहुत तेजी से पिघल रही है और मानवीय कारणों से होने वाला जलवायु परिवर्तन इसका मुख्य कारण है.

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अध्ययन के अनुसार अंटार्कटिका में 2009 से हर साल 278 अरब टन बर्फ पिघल रही है, जबकि 1980 के दशक में 44 अरब टन बर्फ पिघल रही थी.  बर्फ पिघलने की हालिया औसत दर पिछले साल के मुकाबले 15 प्रतिशत अधिक है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक एरिक रिगटन ने बताया कि उपग्रह आधारित अध्ययन में बड़ा अंतर यह दिखाई दिया कि स्थिर समझे जाने वाले पूर्वी अंटार्कटिका में भी एक वर्ष में 56 अरब टन बर्फ पिघल रही है.

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बता दें कुछ दिनों पहले नासा की एक रिपोर्ट में भी यह बात सामने आई थी, जिसमें कहा गया था कि टोटेन के पश्चिम में स्थित चार ग्लेशियरों के एक समूह में समुद्र स्तर को बढ़ाने के लिए पर्याप्त बर्फ है, जिसमें से कम से कम 11 फीट बर्फ पिघल भी चुकी है. टोटेन पूर्वी अंटार्कटिका का सबसे बड़ा ग्लेशियर है. इसके अलावा पूर्व के दूर क्षेत्रों में कुछ छोटे ग्लेशियर भी पिघल रहे हैं.

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