आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष जारी, यह देश भड़का रहा 'आग'
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आर्मेनिया और अजरबैजान के बीच संघर्ष जारी, यह देश भड़का रहा 'आग'

विवादित नागोर्नो-करबख क्षेत्र में 27 सितंबर को शुरू हुई लड़ाई में अब तक 73 नागरिकों सहित कम से कम 600 लोगों की मौत हो गई है. 

फाइल फोटो.

नागोर्नो-करबख: आर्मेनिया और अजरबैजान (Armenia Azerbaijan war) के बीच युद्ध विराम समझौते पर सहमति बनने के बाद भी दोनों के बीच लड़ाई जारी है. विवादित नागोर्नो-करबख (Nagorny Karabakh) क्षेत्र में 27 सितंबर को शुरू हुई लड़ाई में अब तक 73 नागरिकों सहित कम से कम 600 लोगों की मौत हो गई है. अमेरिका दोनों पक्षों से युद्धविराम का पालन करने की अपील कर रहा है.

  1. आर्मेनिया अजरबैजान संघर्ष जारी

    लगातार बढ़ रहा मौतों का आंकड़ा

    मिन्स्क ने दी भयावह परिणाम की चेतावनी

अंतर्राष्ट्रीय रेड क्रॉस ने कहा है कि ‘व्यस्त सड़कें भी मलबे में तब्दील हो चुकी हैं.’ इससे पहले अज़रबैजान और अर्मेनियाई सैनिकों ने एक-दूसरे पर युद्धविराम तोड़ने का आरोप लगाया था. युद्ध विराम के बावजूद कई क्षेत्रों में भारी गोलाबारी भी की गई थी.

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अमेरिका की अपील
अमेरिका ने अजरबैजान और आर्मेनिया से आह्वान किया है कि वे संघर्ष विराम को लागू करने के लिए सहमति बनाएं और नागरिक क्षेत्रों को निशाना न बनायें. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ ने कहा कि दोनों पक्षों के बीच लड़ाई के बीच भी मिन्स्क समूह दोनों राष्ट्रों से आग्रह करता है कि उन्हें युद्धविराम को लागू करने के लिए तत्काल कदम उठाने चाहिए.

भयावह परिणाम की चेतावनी
रूस, फ्रांस और अमेरिका सहित मिन्स्क समूह के सदस्यों ने इस लड़ाई के भयावह परिणाम की चेतावनी दी है, यदि लड़ाई जारी रहती है. इस बीच, अजरबैजान के सहयोगी तुर्की ने कहा कि वह रूस, अजरबैजान, आर्मेनिया और तुर्की के बीच चार-तरफा वार्ता चाहता है. तुर्की ने कहा, ‘चूंकि रूस अर्मेनिया के पक्ष में है और हम अजरबैजान का समर्थन करते हैं, इसलिए इन समस्याओं के समाधान के लिए चर्चा करने के लिए चार-तरफा वार्ता होनी चाहिए. 30 साल बाद यह एक नया तंत्र खोजने का समय है.’

अजरबैजान के विवादित नागोर्नो-करबख क्षेत्र में अर्मेनियाई बहुमत है और 1991 में सोवियत संघ से टूटने के बाद दोनों देशों के बीच एक फ्लैशपॉइंट बन गया था. दोनों देशों ने 90 के दशक की शुरुआत में युद्ध के दौरान कम से कम 30,000 लोगों को खोया, हालांकि 1994 में युद्ध विराम संधि हुई लेकिन आज एक बार फिर वही हालात हैं.

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