ASEAN देशों ने म्यांमार की सैन्य सरकार पर डाला दबाव, विपक्षी नेताओं को रिहा करने की मांग
Advertisement

ASEAN देशों ने म्यांमार की सैन्य सरकार पर डाला दबाव, विपक्षी नेताओं को रिहा करने की मांग

आसियान (ASEAN) देशों के नेताओं ने कहा कि म्यांमार में आम लोगों की आवाज को बलपूर्वक कुचला जा रहा है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है. ये न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि घरेलू मामले में भी बेहद गलत है. आम लोग जो हथियारबंद नहीं हैं, उनपर भी म्यांमार का प्रशासन बर्बरता पूर्ण कार्रवाई कर रही है.

इंडोनेशिया की विदेश मंत्री रेत्नो मर्सूदी बातचीत के दौरान/रायटर्स

यांगून: म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बीच पड़ोसी देशों ने सैन्य जुंटा से बातचीत की है. पड़ोसी देशों के शीर्ष नेताओं ने सैन्य सरकार के प्रतिनिधि से वीडियो कॉल पर बातचीत की और सैन्य सरकार के उन कठोर कदमों की निंदा की, जिसमें सैन्य प्रशासन की गोलीबारी में 21 लोगों की मौत हो गई. ये सभी पड़ोसी देश एसोसिएशन ऑफ साउथ ईस्ट एशियन नेशंस यानी आसियान के सदस्य हैं. उन्होंने सैन्य सरकार से लोकतंत्र की बहाली की मांग की और कहा कि सैन्य सरकार आंग सान सू ची समेत सभी विपक्षी नेताओं को जल्द से जल्द रिहा करे. 

  1. म्यामांर की सैन्य सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश
  2. आसियान देशों के विदेश मंत्रियों ने की जुंटा के प्रतिनिधि से बातचीत
  3. विपक्षी नेताओं को रिहा करने, लोकतंत्र की बहाली की मांग

सैन्य प्रशासन के प्रतिनिधि से बातचीत

आसियन देशों के विदेश मंत्रियों ने बातचीत के दौरान सैन्य प्रशासन पर दबाव बनाने की कोशिश की. इंडोनेशिया के विदेश मंत्री रेत्नो मर्सूदी ने कहा कि म्यांमार की सैन्य सरकार जल्द से जल्द विपक्षी नेताओं को रिहा करे और लोकतंत्र की वापसी की राह बनाए. वहीं, सिंगापुर के प्रधानमंत्री ली हिएन लूंग ने एक इंटरव्यू में कहा कि सैन्य तख्तापलट की वजह से म्यांमार पीछे जा रहा है. उन्होंने कहा कि सैन्य तख्तापलट के बाद म्यांमार पर अमेरिका, कनाडा और यूएन ने जो प्रतिबंध लगाए हैं, उनके भले ही सैन्य प्रशासन को कोई फर्क नहीं पड़े, लेकिन इससे जनता को बहुत तकलीफ होने वाली है. बता दें कि आसियान देशों में म्यांमार के अलावा सिंगापुर, फिलीपींस, इंडोनेशिया, थाईलैंड, लाओस, कंबोडिया, मलेशिया, ब्रुनेई और वियतनाम शामिल हैं. 

आम जनता पर बल प्रयोग का विरोध

आसियान (ASEAN) देशों के नेताओं ने कहा कि म्यांमार में आम लोगों की आवाज को बलपूर्वक कुचला जा रहा है, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है. ये न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, बल्कि घरेलू मामले में भी बेहद गलत है. आम लोग जो हथियारबंद नहीं हैं, उनपर भी म्यांमार का प्रशासन बर्बरता पूर्ण कार्रवाई कर रही है. मलेशिया के विदेश मंत्री मिशामुद्दीन हुसैन ने आंग सान सू की और अन्य राजनीतिक बंदियों को तुरंत रिहा करने की मांग रखी. बता दें कि यांगून में प्रदर्शनों के बीच आसियान देशों के विदेश मंत्री म्यांमार की सैन्य सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं, ताकि देश में फिर से लोकतंत्र को स्थापित किया जा सके.  म्यांमार में सैन्य तख्तापलट का कनाडा, ब्रिटेन, अमेरिका समेत प्रमुख देशों ने निंदा की है और सैन्य नेतृत्व में शामिल कई मिलिटरी जनरल पर प्रतिबंध भी लगाए हैं. 

बातचीत के दौरान पुलिस ने चलाई आम लोगों पर गोलियां

म्यांमार में सैन्य तख्तापलट के बीच आम लोगों का दमन बढ़ता जा रहा है. खासकर सैन्य तख्तापलट का विरोध करने सड़कों पर उतर रहे लोग सेना के निशाने पर हैं. पिछले सप्ताहांत प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने से करीब दो दर्जन प्रदर्शनकारियों की मौत हो गई थी, तो मंगलवार को म्यांमार पुलिस ने आम लोगों पर गोलियां बरसाईं. ये गोलीबारी उस समय हुई, जब आसियान देशों के मंत्री म्यांमार के सैन्य नेतृत्व से वार्ता कर रहे थे. 

ये भी पढ़ें: Myanmar में सैन्य शासन का दमनचक्र जारी, ASEAN देशों के मंत्रियों की बैठक से पहले फायरिंग

म्यांमार में गतिरोध बढ़ा

बता दें कि सेना और प्रदर्शन कर रहे लोगों के बीच पहले से जारी गतिरोध के बीच हिंसा से तनाव और बढ़ गया है. प्रदर्शनकारी आंग सान सू ची की निर्वाचित सरकार को फिर से सत्ता में बहाल करने की मांग कर रहे हैं. सेना ने एक फरवरी को तख्तापलट (Coup) कर सू ची और अन्य नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था. म्यांमार (Myanmar) के सैन्य नेतृत्व में काम कर रही प्रादेशिक काउंसिल तीन मौलिक कानूनों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर चुकी है. इसमें व्यक्तिगत सुरक्षा और स्वतंत्रता से संबंधित कानून की धारा 5, 7 और 8 भी शामिल है. सेना ने पिछले साल के चुनाव में धांधली का आरोप लगातार चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया है.

Trending news