ऑस्ट्रेलिया: जानिए क्यों इस देश में बसना चाहते हैं दुनिया के लोग
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ऑस्ट्रेलिया: जानिए क्यों इस देश में बसना चाहते हैं दुनिया के लोग

ऑस्ट्रेलिया भले ही दुनिया का सबसे खुशहाल देश न हो, लेकिन फिर भी संसार के लोग यहां आकर बसना चाहते हैं. 

 स्कॉट मैरिसन ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हैं. (फोटो: Reuters)
स्कॉट मैरिसन ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री हैं. (फोटो: Reuters)

नई दिल्ली: ऑस्ट्रेलिया दुनिया का एक ऐसा देश है जो अपने नाम के महाद्वीप से भी जाना जाता है. इतना बड़ा महाद्वीप होने के बाद भी यहां आधुनिक सभ्यता की बसाहट काफी देर से हुई. यहां के मूल निवासी काफी कम तादात में रहे और 17वीं सदी से यूरोप के लोगों ने यहां आना शुरू किया और धीरे धीरे यहां की आबादी बढ़ी. आज ऑस्ट्रलिया में लगभग 2 करोड़ तीस लाख लोग रहते हैं जिनमें ज्यादातर अंग्रेज और दूसरे देशों के लोग है. अपनी कई खासियतों की वजह से यह दुनिया भर के लोगों के लिए कौतूहल ही पैदा नहीं करता, बल्कि लोग यहां आकर बसना पसंद करते हैं. 

क्यों चर्चा में रहा पिछले दिनों ऑस्ट्रेलिया
हाल ही में न्यूजीलैंड के शहर क्राइस्टचर्च की एक मस्जिद पर हुए हमले में हमलावर ऑस्ट्रेलिया का नागरिक था जो व्हाइट सुप्रीमेसी का पैरोकार माना जा रहा है. ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने इसकी आलोचना करते हुए इस व्यक्ति को ‘ऑस्ट्रेलिया की मूल भावना‘ का विरोधी बताया था. यहां कई प्रजातियां के लोग रहते हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया का जनसंख्या घनत्व आज भी काफी कम है. यहां की सांस्कृतिक विविधता पर ऑस्ट्रेलिया के लोग गर्व करते हैं. 

सांस्कृतिक विविधता के सामने चुनौती
यहां मूल निवासियों को एबोरिजिनल कहा जाता है जो हजारों साल पहले एशिया से यहां आए थे, लेकिन अब वे ऑस्ट्रेलिया की जनसंख्या के केवल 3 प्रतिशत हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद बड़ी संख्या में दूसरे देशों से लोगों का यहां आना शुरू हुआ जिसकी वजह से मिश्रित संस्कृति समाज का विकास हुआ. यह अब संवेदनशील राजनैतिक मुद्दा भी बनता जा रहा है. 90% लोग ब्रिटेन-यूरोप के है. लगभग 60 % लोगों का धर्म ईसाई है. बाकि लोगों में बौद्ध, मुस्लिम, हिंदू, यहूदी, आदि शामिल हैं.

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भौगोलिक स्थिति का योगदान!
ऑस्ट्रेलिया हिंद महासागर और प्रशांत महासागर के बीच स्थित है. उत्तर में एशिया और दक्षिण में एंटार्टिका काफी नजदीक हैं, लेकिन उनसे ऑस्ट्रेलिया की कोई जमीनी सीमा नहीं छूती. ऑस्ट्रेलिया के उत्तर में इंडोनेशिया, पूर्व में तिमोर, पापुआ न्यू गिनी, उत्तर पूर्व में सोलोमन द्वीप, न्यू कैलेडोनिया और दक्षिण पूर्व में न्यूजीलैंड स्थित है. ऑस्ट्रेलिया के बीचों बीच से मकर रेखा होकर गुजरती है जिस तरह भारत के मध्य से कर्क रेखा होकर गुजरती है. यहां का ज्यादातर क्षेत्र मरुस्थली जलवायु होने के बाद भी यहां अल्पाइन से लेकर उष्णकटिबंधीय वर्षावन तक पाए जाते हैं जहां प्रचुर जैवविविधताएं हैं यहां विलुप्तता की कगार पर पहुंच चुकी  हजारों प्रजातियां पाई जाती हैं.

भौगोलिक विलक्षणताएं
ऑस्ट्रेलिया के भूगोल में कई ऐसी विलक्ष्णताएं हैं जो दुनिया भर के लोगों को यहां खींचती हैं. उत्तर पूर्व तटों में स्थित  विशाल मूंगे की चट्टान ( ग्रेट कोरल रीफ) दुनिया की सबसे बड़ी मूंगे की चट्टान है जो 2000 किलोमीटर लंबी है. पश्चिम ऑस्ट्रेलिया का माउंट आगस्टस दुनिया के सबसे बड़ा मोनोलिथ (एकाश्मक यानि भूगर्भीय चट्टान जो एक तकनीकी रूप से एक पत्थर होती है) माना जाता है. 

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यहां की जैवविविधता अपने आप में अनोखी है, लोगों में यहां के कंगारुओं को लेकर काफी कौतूहल रहता है जो अपने उस थैली के लिए मशहूर हैं जिसमें मादाएं बच्चे रखती हैं. इसके अलावा भी कई जीव, प्राकृतिक सौंदर्य, आकर्षक जीवन शैली ऑस्ट्रेलिया में पर्यटन को एक प्रमुख उद्योग का दर्जा देते हैं. माना जाता है कि एंटार्टिका और ऑस्ट्रेलिया इकलौते ऐसे महाद्वीप हैं जिनका उद्भव बिना बिल्ली प्रजाति के हुआ. जबकि ऑस्ट्रेलिया में ही दुनिया के सबसे ज्यादा सरीसृप प्रजातियां पाई जाती हैं.  

आकर्षित करती है ऑस्ट्रेलिया की यह बात
ऑस्ट्रेलिया यह उन देशों में एक माना जाता है जो सम्पन्नता, शिक्षा, स्वास्थ्य, जीवन गुणवत्ता जीवन शैली के लिहाज से सबसे अच्छे और पसंदीदा देश माने जाते हैं. शिक्षा के लिए यहां दूर दूर से छात्र पढ़ने आते हैं. यहां की जीवनशैली खास तौर पर दुनिया के लोगों को आकर्षित करती है. यहां के 70% लोग खेलों से जुड़े रहते हैं यहां क्रिकेट बहुत लोकप्रिय है. वहीं बाकी खेलों में भी यहां के खिलाड़ी ओलंपिक, कॉमनवेल्थ खेलों में बड़ी संख्या में पदक जीतते रहते हैं. 

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ऑस्ट्रेलिया एकमात्र ऐसा महाद्वीप है जो पूरा का पूरा दक्षिणी गोलार्द्ध में स्थित है. क्षेत्रफल के लिहाज से 7,617,930 वर्ग किलोमीटर  2,941,300 वर्ग मील में फैला यह देश दुनिया का छठा सबसे बड़ा देश है. न्यू साउथ वेल्स, क्वींसलैंड, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया, तस्मानिया, विक्टोरिया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया यहां के छह बड़े राज्य हैं.जनसंख्या का ज्यादातर हिस्सा पूर्वी इलाकों, उनमें भी तटीय क्षेत्रों, में रहता है. राजधानी केनबरा है लेकिन सिडनी सबसे बड़ा शहर है. इसके अलावा मेलबर्न, एडिलेड, ब्रिसबेन, हॉबर्ट, पर्थ प्रमुख शहर हैं. आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है. ऑस्ट्रेलियन डॉलर यहां की मुद्रा है.
 
ऑस्ट्रेलिया पर ब्रिटेन फिर अमेरिका का प्रभाव
दुनिया से एक तरह से अलग-थलग रहा यह देश वर्चस्व की लड़ाई से दूर ही रहा और यहां ब्रिटेन का प्रुभत्व ही सबसे ज्यादा रहा, लेकिन ब्रिटेन से ज्यादा दूर होने के कारण और अंतरराष्ट्रीय राजनीति में द्वितीय विश्व युद्ध की वजह से ब्रिटेन के कमजोर होने से ऑस्ट्रेलिया का स्वतंत्र अस्तित्व होता गया. इस दौरान अमेरिका की झुकाव होने के बाद आज ऑस्ट्रलिया अपने पड़ोसी एशियाई देशों से बेहतर संबंध बनाने पर जोर दे रहा है. ऑस्ट्रेलिया ने सोलोमन द्वीपों, पूर्वी तिमोर और पपुआ न्यू गुनिया में शांति अभियानों में भाग लिया है. 

इतिहास जिसने ऑस्ट्रेलिया को यहां पहुंचाया
हजारों (लगभग 60,000) साल पहले यहां एशिया से लोग रहने आए, लेकिन वे जनजातीय जीवन तक ही सीमित रहे. 17वीं सदी की शुरुआत में डच यहां आने वाले पहले यूरोपियन थे, लेकिन यहां 1770 जेम्स कुक यहां के पूर्वी तट पर आए और इस इलाके पर ब्रिटेन का दावा किया. धीरे-धीरे यहां लोगों का आना बढ़ता गया और 19वीं सदी के मध्य तक पूरे महाद्वीप का कब्जा हो गया. इसी समय सोने की प्रबल संभावनाओं को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया में लोग सोने की खोज के लालच में आया करते थे. यहां क 20वी सदी की शुरुआत में ऑस्ट्रेलिया कॉमवेल्थ का हिस्सा बना और तब से ब्रिटेन की तरह ही यहां आज भी संसदीय शासन व्यवस्था है. 

कैसी है यहां की शासन व्यवस्था
1985 तक ही ऑस्ट्रेलिया ने ब्रिटेन से काफी हद तक राजनैतिक स्वतंत्रता अपना ली. ब्रिटेन से लंबी भौगोलिक दूरियों ने ऑस्ट्रेलिया की अंतरराष्ट्रीय प्राथमिकताओं को ब्रिटेन से दूर कर दिया. लेकिन उस पर अब भी ब्रिटेन का गहरा प्रभाव है, खास यहां के औपचारिक कार्यों में. ऑस्ट्रेलिया अब भी कॉमनवेल्थ का सदस्य है. यहां के संसदीय शासन में ब्रिटेन की महारानी देश की प्रमुख हैं जो गवर्नर जनरल के माध्यम से ऑस्ट्रेलिया का प्रतिनिधित्व करतीं हैं. इसके अलावा संसद, कार्यपालिका, न्यायपालिका सब ब्रिटेन की तरह ही हैं. 

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पर्यावरण के सबसे संवेदनशील क्षेत्रों से एक 
ऑस्ट्रेलिया में यहां पर पर्यावरण का मुद्दा सबसे अधिक चिंता का विषय है. अल नीनो के प्रभाव के कारण यहां भीषण गर्मी पड़ती है. यहां पानी की भारी किल्लत हो जाती है. इसकी वजह से आज ऑस्ट्रेलिया में कृत्रिम (आर्टिफीशियल) वर्षा पर प्रतिबंध है. ऑस्ट्रेलिया दुनिया के सबसे ज्यादा ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन करने वाले शीर्ष दस देशों में शामिल है. यहां का ऊर्जा उप्तादन पूरी तरह से कोयले पर निर्भर है. इसके अलावा पृथ्वी का सबसे चर्चित ओजोन होल एंटार्टिका के ऊपर है जिसके सबसे पास ऑस्ट्रेलिया है. पर्यावरण के अलावा जैवविविधता संरक्षण भी यहां का प्रमुख चिंतनीय मुद्दा है. 

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वर्तमान परिदृश्य
इन दिनों ऑस्ट्रेलिया में लिबरल पार्टी के नेता स्कॉट मैरिसन देश के प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने पिछले साल ही देश के बागडोर संभाली है, जो पहले मेल्कलम टर्नबुल के मंत्रीमंडल में वित्त मंत्री थे. यहां के कोयले और अन्य खनिज भंडार प्रचुर मात्रा में हैं. धातुओं में सोने चांदी के भंडार काफी मशहूर हैं. प्राकृतिक गैस और पैट्रोलियम भी यहां मौजूद हैं. उत्खनन, औदेयोगिक और यातायात सामग्री, स्टील खाद्य प्रसंस्करण प्रमुख उद्योग है. वहीं गेंहू,  जौ, गन्ना, फल, डेयरी उत्पाद प्रमुख कृषि उत्पाद हैं. आज ऑस्ट्रेलिया एक सम्पन्न देश माना जाता है, लेकिन यहां कई समस्याएं और चुनौतियों ने दुनिया का ध्यान खींचा है.  यहां सबसे बड़ी चुनौती मिश्रित संस्कृति को बजाए रखने की है.

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