अमेरिकी अभियान को झटका, चीन के खिलाफ साथ देने से ऑस्ट्रेलिया ने किया इनकार
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अमेरिकी अभियान को झटका, चीन के खिलाफ साथ देने से ऑस्ट्रेलिया ने किया इनकार

चीन (China) के खिलाफ दुनिया को एकजुट करने के अमेरिकी (America) अभियान को कुछ हद तक झटका लगा है.

फाइल फोटो

वॉशिंगटन: चीन (China) के खिलाफ दुनिया को एकजुट करने के अमेरिकी (America) अभियान को कुछ हद तक झटका लगा है. ऑस्ट्रेलिया (Australia) ने स्पष्ट किया है कि वो मौजूदा संकट के बावजूद चीन के साथ अपने रिश्तों को खराब नहीं करेगा. चीन के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच हुई उच्च-स्तरीय वार्ता में ऑस्ट्रेलिया की विदेशमंत्री ने कहा कि हम नियम-कानून आधारित वैश्विक व्यवस्था बनाये रखने की वकालत करते हैं, लेकिन चीन के साथ अपने संबंधों को चोट पहुंचाने का हमारा कोई इरादा नहीं है. अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ (Mike Pompeo) और रक्षा सचिव मार्क ओस्लो ने वाशिंगटन में अपने ऑस्ट्रेलियाई समकक्षों के साथ दो दिनों तक चीन के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया. दोनों नेता कोरोना (CoronaVirus) महामारी के बावजूद चीन के खिलाफ समर्थन हासिल करने के लिए अलग-अलग देशों की यात्राएं कर रहे हैं. 

  1. ऑस्ट्रेलिया ने कहा चीन के साथ नहीं खराब करेंगे संबंध
  2. अमेरिका बीजिंग के खिलाफ जुटा रहा है समर्थन
  3. चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है  

मंगलवार को एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में पोम्पिओ ने चीन पर दबाव बनाने के लिए ऑस्ट्रेलिया के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि वॉशिंगटन और कैनबरा दक्षिण चीन सागर में कानून के शासन को पुन: स्थापित करने के लिए मिलकर काम करेंगे. वहीं, ऑस्ट्रेलिया की विदेशमंत्री मारिज पायने (Marise Payne) ने कहा कि अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया कानून के शासन के लिए प्रतिबद्ध हैं और इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ एकसाथ खड़े हैं. उन्होंने आगे कहा कि दोनों देशों ने महामारी के मद्देनजर एक कार्यसमूह बनाने पर सहमति दर्शाई है. 

यही सम्मानजनक रिश्ते की पहचान
पायने ने आगे बोलते हुए कहा, ‘ऑस्ट्रेलिया बीजिंग के मुद्दे पर अमेरिका की हर बात पर सहमत नहीं है. चीन के साथ हमारे महत्वपूर्ण संबंध हैं और उसे चोट पहुंचाने का हमारा कोई इरादा नहीं है. साथ ही न हम कोई ऐसा कार्य करने का इरादा रखते हैं, जो हमारे हितों के विपरीत हो’.  उन्होंने कहा कि एशिया-प्रशांत क्षेत्र को लेकर ऑस्ट्रेलिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के साझा हित हैं और चीन जैसे मुद्दों पर भी दोनों एकमत हैं. हालांकि, हम हर बात पर सहमत नहीं हो सकते, और यही सम्मानजनक रिश्ते की पहचान है. पायने ने वॉशिंगटन के साथ मतभेदों पर ज्यादा कुछ न बोलते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलिया ने अपने राष्ट्रीय हितों और सुरक्षा के आधार पर यह फैसला लिया है.  

सबकी अपनी-अपनी सोच
माइक पोम्पिओ चीन पर हमलावर रहे हैं. हाल ही में उन्होंने कहा था कि एक जैसी सोच रखने वाले देशों को चीन से मुकाबले के लिए एकसाथ आना होगा. ऑस्ट्रेलिया की विदेशमंत्री ने माइक पोम्पिओ के बयानों पर टिप्पणी करने से इंकार करते हुए कहा कि ‘उनकी अपनी सोच है और हमारी अपनी’.

एक सवाल के जवाब में अमेरिकी विदेशमंत्री ने कहा कि यह अमेरिका बनाम चीन में से किसी को चुनने के बारे में नहीं है. यह निरंकुशता और अधिकारवादी शासन के खिलाफ स्वतंत्रता और लोकतंत्र को चुनने के बारे में है, और मुझे विश्वास है कि हमारे ट्रान्साटलांटिक सहयोगी ठीक से जानते हैं, उन्हें किसका साथ देना है.

यह है वजह
अमेरिका ऑस्ट्रेलिया का मुख्य सुरक्षा सहयोगी है, जबकि चीन उसका सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है. कोरोना महामारी के प्रसार की अंतरराष्ट्रीय जांच पर सहमति जताकर ऑस्ट्रेलिया पहले ही चीन को नाराज कर चुका है. बदले की कार्रवाई के तहत चीन द्वारा ऑस्ट्रेलिया के निर्यात पर 80 फीसदी टैरिफ लगाया गया है. ऑस्ट्रेलिया अब ड्रैगन को ज्यादा नाराज नहीं करना चाहता, इसलिए उसने चीन के मुद्दे पर अमेरिका का साथ देने से इंकार कर दिया है.    

 

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