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ढाका: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) की बांग्लादेश (Bangladesh) यात्रा के दौरान हुई हिंसा में क्या पाकिस्तान (Pakistan) का हाथ था? बांग्लादेश सरकार इस सवाल का जवाब खोज रही है. पीएम मोदी हाल ही में बांग्लादेश गए थे, इस दौरान कट्टरवादी संगठन हिफाजत-ए-इस्लाम (Hefazat-e-Islam) के कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह पर तीन दिनों तक हिंसक कार्रवाई को अंजाम दिया था, जिसमें कम से कम 13 लोगों की मौत हुई थी. अब बांग्लादेश सरकार को लगता है कि इस हिंसा के पीछे पाकिस्तान उच्चायोग हो सकता है. उसने ही हिंसा फैलाने के लिए फंडिंग की थी. इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने जांच शुरू कर दी है.
सूत्रों के अनुसार, कट्टरवादी नेता जुनैद बाबू नगरी (Junaid Babu Nagari) ने पिछले साल नंबर में हिफाजत-ए-इस्लाम की कमान संभाली थी और वो कुछ बड़ा करने की तैयारी कर रहा था ताकि उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिल सके. जुनैद का पाकिस्तानी कनेक्शन भी है, जिसके चलते हिंसा में पाकिस्तान का हाथ होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. जुनैद बाबू नगरी को करीब से जानने वालों के मुताबिक, जुनैद ने पाकिस्तान के जामिया उलूम-ए-इस्लामिया में चार साल तक पढ़ाई की थी.
पिछले साल ग्रुप के लीडर शाह अहमद शफी की मौत के बाद जब संगठन में बगावत के सुर सुनाई देने लगे, तो जुनैद बाबू नगरी ने खुद को संगठन के प्रमुख के रूप में पेश किया. बता दें कि हिफाजत-ए-इस्लाम के कार्यकर्ताओं ने तीन दिनों तक बांग्लादेश में हिंसक गतिविधियों को अंजाम दिया था. उनकी पुलिस के साथ भी झड़प हुई. वहीं, कई स्थानों पर सरकार समर्थक प्रदर्शनकारियों द्वारा राजमार्गों को अवरुद्ध किया गया, वाहनों को जला दिया और एक यात्री ट्रेन पर भी हमला किया गया.
पीएम मोदी जब बीते शुक्रवार को ढाका पहुंचे, उस दिन हिंसा में पांच लोगों की मौत हुई. इसके दूसरे दिन छह लोगों की जान गई जबकि कट्टरवादी संगठन द्वारा रविवार को बुलाई गई राष्ट्रव्यापी आम हड़ताल के दौरान दो लोगों की मौत हुई. इस तरह हिंसा में 13 लोगों की जान गई. बांग्लादेश की जांच एजेंसियां अब ये पता लगाने में जुट गई हैं कि क्या इस हिंसा के पीछे जुनैद बाबू नगरी का पाकिस्तानी कनेक्शन जिम्मेदार है. क्या पाकिस्तान ने ही हिफाजत-ए-इस्लाम को फंड मुहैया कराया था.