नेपाल में पशुओं की बलि देने के उत्सव में 5000 भैंसों की दी गई बलि
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नेपाल में पशुओं की बलि देने के उत्सव में 5000 भैंसों की दी गई बलि

नेपाल में पशुओं की बलि देने के एक बड़े उत्सव में 5,000 से अधिक भैंसों की बलि दे दी गई। यह दुनिया में इस तरह की सबसे बड़ी प्रथा मानी जाती है। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के इस बर्बर प्रथा को खत्म करने के तमाम प्रयासों के बावजूद इन जानवरों की बलि दी गई।

नेपाल में पशुओं की बलि देने के उत्सव में 5000 भैंसों की दी गई बलि

काठमांडू : नेपाल में पशुओं की बलि देने के एक बड़े उत्सव में 5,000 से अधिक भैंसों की बलि दे दी गई। यह दुनिया में इस तरह की सबसे बड़ी प्रथा मानी जाती है। पशु अधिकार कार्यकर्ताओं के इस बर्बर प्रथा को खत्म करने के तमाम प्रयासों के बावजूद इन जानवरों की बलि दी गई।

दक्षिणी नेपाल के बारा जिले के बरियारपुर गांव के गढीमाई मंदिर में हर पांच साल बाद इस उत्सव का आयोजन होता है जिसमें इस बार हजारों श्रद्धालु शामिल हुए जिनमें भारत से आए श्रद्धालु भी हैं। श्रद्धालुओं का मानना है कि पशुओं की बलि से हिन्दू देवी गढीमाई प्रसन्न होती हैं और इससे उनके लिए अच्छी किस्मत और समृद्धि आती है।

पुलिस के अनुसार उत्सव के पहले दिन शुक्रवार को करीब 400 कसाइयों ने 5,000 भैंसों की बलि दी। उत्सव के खत्म होने से पहले हजारों बकरियों, सूअरों और मुर्गियों की भी बलि दी जाएगी। आयोजक और अधिकारी पीढ़ियों से चली आ रही परंपरा करार देते हुए उत्सव के आयोजन का बचाव करते हैं जबकि पशु अधिकार कार्यकर्ता इसे बर्बर बताते हैं।

हालांकि प्रथा पर रोक लगाने की मुहिम का कुछ असर दिखा है और इस साल पिछली बार की तुलना में बलि दिए गए भैंसों की संख्या घटकर आधी हो गयी। पिछली बार करीब 10,000 भैंसों की बलि दी गयी थी। भारत के उच्चतम न्यायालय ने हाल में सरकार को गढीमाई उत्सव के दौरान नेपाल को मवेशियों के निर्यात पर रोक लगाने का आदेश दिया था।

उत्सव की आयोजन समिति ने पत्रकारों और फोटोग्राफरों के लिए बलि की तस्वीरें लेने पर रोक लगा दी है। इस बीच कल उत्सव के दौरान बिहार की एक वृद्ध महिला और एक साल भर के बच्चे की मौत हो गयी। बच्चे की मौत ठंड से हुई जबकि 65 वर्षीय महिला की भीड़ में फंसने के बाद मौत हो गयी।

 

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