ब्रिक्स समिट में सबकी निगाहें नरेंद्र मोदी-शी जिनपिंग की मुलाकात पर
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ब्रिक्स समिट में सबकी निगाहें नरेंद्र मोदी-शी जिनपिंग की मुलाकात पर

डोकलाम से 28 अगस्त को नई दिल्ली और बीजिंग के अपने -अपने सैनिकों को हटाने का फैसला करने के बाद यह सम्मेलन पहला मौका होगा, जब ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेता मिलेंगे.

डोकलाम विवाद के बाद पहली बार पीएम नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग की मुलाकात हो सकती है. (फाइल फोटो)

शियामेन: भारत और चीन के बीच 73 दिनों तक चले डोकलाम गतिरोध के खत्म होने के कुछ दिन बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के लिए रविवार (3 सितंबर) को यहां पहुचेंगे, जहां उनके चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मिलने की संभावना है. चीन के दक्षिणपूर्वी फुजियान प्रांत के शहर शियामेन में तीन दिवसीय ब्रिक्स सम्मेलन रविवार (3 सितंबर) से शुरू होगा. हालांकि, मावर तूफान के तटीय क्षेत्र में दस्तक देने की संभावना के मद्देनजर अधिकारियों ने हाई अलर्ट की घोषणा की है.

डोकलाम से 28 अगस्त को नई दिल्ली और बीजिंग के अपने -अपने सैनिकों को हटाने का फैसला करने के बाद यह सम्मेलन पहला मौका होगा, जब ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेता मिलेंगे. इस बात की संभावना है कि यह गतिरोध पर चर्चा के लिए मोदी और शी को आमने सामने बैठने का एक मौका देगा. यह गतिरोध 16 जून को शुरू हुआ था. दरअसल, चीनी सैनिकों ने इलाके में एक सड़क बनाने की कोशिश शुरू की, जिससे भारत को यह आशंका हुई कि इससे पूर्वोत्तर राज्यों से बीजिंग उसका संपर्क काट सकता है.

भारत और चीन ने सम्मेलन के दौरान मोदी - शी की बैठक होने से इनकार नहीं किया है. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि ऐसे बहुपक्षीय मौकों पर द्विपक्षीय बैठकें होना एक सामान्य व्यवहार है. वहीं, चीनी मंत्रालय ने कहा है कि यदि समय ने इजाजत दी तो वह ऐसी व्यवस्था करेगा.

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सम्मेलन से पहले चीन ने यह भी कहा है कि पाकिस्तान के आतंकवाद रोधी रिकॉर्ड का मुद्दा उठाने के लिए ब्रिक्स एक उचित मंच नहीं है. गौरतलब है कि पिछले साल भारत में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में मोदी ने पाकिस्तान को दुनिया भर के आतंकवाद की जननी कहा था और आतंकी संगठनों के खिलाफ निर्णायक वैश्विक कार्रवाई की मांग की थी. सम्मेलन में अगले 10 साल के लिए उभरती अर्थव्यवस्थाओं के समूह ब्रिक्स की भविष्य की रणनीति पर भी चर्चा होने की उम्मीद है. ब्रिक्स का गठन 2006 में हुआ था.

ब्रिक्स राष्ट्र विश्व अर्थव्यवस्था और वैश्विक शासन में काफी मायने रखते हैं. ये पांचों देश 2016 की वैश्विक अर्थव्यस्था में कुल 23 फीसदी योगदान देते हैं. ब्रिक्स देशों में दुनिया की 44 फीसदी आबादी रहती है. इस बीच, सूत्रों ने बताया कि आतंकवाद के मुद्दे पर भारत के सख्त ऐतराज जताने की उम्मीद है.

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