ब्रिटेन: 45 दिनों से कोमा में थी कोरोना संक्रमित नर्स, वियाग्रा ने ऐसे बचाई जिंदगी
इंग्लैंड की एक नर्स की जिंदगी वियाग्रा के इस्तेमाल से बची. कोरोना पीड़ितों का इलाज करते-करते नर्स खुद कोरोना पॉजिटिव हो गई थी. इलाज के दौरान उसकी तबीयत बिगड़ती गई और वो कोमा में पहुंच गई. कई दिनों तक कोमा में रहने के बाद वो होश में आई तो सिर्फ वियाग्रा की वजह से.
लंदन: वियाग्रा (Viagra) से क्या किसी की जान भी बचाई जा सकती है? इस सवाल का जवाब है ‘हां’. ब्रिटेन (Britain) में कोरोना (Coronavirus) के चलते कोमा में चली गई एक नर्स (Nurse) की जिंदगी वियाग्रा के इस्तेमाल से बच गई. 37 वर्षीय मोनिका अल्मेडा 45 दिनों से कोमा में थीं और डॉक्टरों ने वियाग्रा की मदद से उन्हें कोमा से बाहर निकाला. ट्रीटमेंट का ये यूनिक आइडिया मोनिका की सहकर्मियों का था.
कम हो रहा था ऑक्सीजन लेवल
मोनिका अल्मेडा का ऑक्सीजन लेवल (Oxygen Level) लगातार कम होता जा रहा था. उनकी स्थिति देखकर लग रहा था कि कोई चमत्कार ही उन्हें बचा सकता है और उनके सहकर्मियों ने वो चमत्कार कर दिखाया. इंग्लैंड के गेन्सबरो लिंकनशायर की रहने वालीं मोनिका ने कहा, ‘जब मैं होश में आई तो डॉक्टर ने बताया कि मुझे वियाग्रा की मदद से होश में लाया गया है. पहले मुझे ये सब मजाक लगा, लेकिन उन्होंने कहा कि वाकई मुझे वियाग्रा की हेवी डोज दी गई है’.
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इस तरह हुईं थीं कोरोना संक्रमित
मोनिका एनएचएस लिंकनशायर में कोरोना के मरीजों का इलाज करती थीं. उन्हें इसी दौरान अक्टूबर में कोरोना हो गया था. धीरे-धीरे उनकी तबीयत और ज्यादा बिगड़ने लगी और खून की उल्टियां भी होने लगीं. इसके बाद मोनिका ने अस्पताल में अपना इलाज करवाया. हालांकि, वहां से उन्हें जल्द ही डिस्चार्ज भी कर दिया गया. मगर घर जाते ही उन्हें सांस लेने में भी दिक्कत आने लगी, जिसके बाद उन्हें लिंकन काउंटी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया. मोनिका का ऑक्सीजन लेवल लगातार गिरता जा रहा था, इस वजह से उन्हें आईसीयू में शिफ्ट किया गया. 16 नवंबर को वह कोमा में ही चली गई थीं.
वियाग्रा ने इस तरह किया काम
नर्स की बिगड़ती हालात देख डॉक्टरों ने इनके ट्रीटमेंट के लिए वियाग्रा का इस्तेमाल किया. बता दें कि वियाग्रा के उपयोग से खून का दौरा बेहतर बनता है. वियाग्रा फेफड़ों में फोस्पोडायस्टेरियस एंजाइम बनाती है और रक्त धमनियों को चौड़ा कर फेफड़े को आराम पहुंचाने का काम करती है. मोनिका ने कहा, ‘ये वियाग्रा की दवा ही थी, जिससे मेरी जिंदगी बच गई. 48 घंटों के अंदर मेरे लंग्स ने काम करना शुरू कर दिया. मुझे अस्थमा है, जिसके कारण मेरा ऑक्सीजन लेवल कम हो रहा था’. मोनिका अब पहले से ज्यादा बेहतर है और घर में ही उनका इलाज चल रहा है.