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लंदन: बेटा यदि देश का प्रधानमंत्री हो और पिता किसी दूसरे देश की नागरिकता मांगे, तो यह सवाल खड़ा होना लाजमी है कि क्या रिश्तों में दरार आ गई है? इसी सवाल का सामना ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson)को भी करना पड़ रहा है. क्योंकि उनके पिता ने फ्रांस की नागरिकता के लिए आवेदन किया है. हालांकि, पिता का कहना है कि उन्होंने अपने फ्रेंच जुड़ाव की वजह से ऐसा किया है, लेकिन ब्रेक्जिट डील के फाइनल होने के बाद उनका यह कदम कुछ और ही इशारा कर रहा है.
ब्रिटिश संसद ने यूरोपीय यूनियन के साथ ब्रेक्जिट ट्रेड (Brexit) डील को मंजूरी दे दी थी. प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन (Boris Johnson) और क्वीन एलिजाबेथ द्वितीय ने भी इस पर हस्ताक्षर कर दिए हैं. माना जा रहा है कि बोरिस के पिता स्टैनले जॉनसन (Stanley Johnson) इस फैसले से नाराज हैं और इसीलिए उन्होंने फ्रांस की नागरिकता के लिए आवेदन किया है. बोरिस ने अपने पिता के इस फैसले के संबंध में अब तक कोई टिप्पणी नहीं की है.
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स्टैनले जॉनसन ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अपनी फ्रांसीसी पहचान फिर से हासिल करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि फ्रांस से मेरी जड़े जुड़ी हुईं हैं. यदि मैं ठीक से समझता हूं तो मैं फ्रेंच हूं. मेरी मां का जन्म फ्रांस में हुआ था. उनकी मां पूरी तरह फ्रेंच थीं इतना ही नहीं उनके दादा भी फ्रेंच थे. मैं बस वही हासिल करना चाहता हूं जो मैं हूं. स्टैनले जॉनसन ने आगे कहा कि मैं हमेशा यूरोपीय रहूंगा, यह तय है. बता दें कि बोरिस जॉनसन के 80 वर्षीय पिता पूर्व में यूरोपीय संसद के सदस्य रह चुके हैं. उन्होंने 2016 के जनमत संग्रह में ब्रिटेन के यूरोपीय संघ के साथ रहने का समर्थन किया था.
ब्रिटेन का यूरोपीय संघ से आर्थिक नाता टूट जाने के बाद ब्रिटेन के नागरिकों को यूरोपीय संघ के तहत आने वाले 27 देशों में रहने और काम करने का स्वत: प्राप्त अधिकार अब नहीं मिलेगा. हालांकि, जिनके पास दोहरी नागरिकता है, उन्हें यह अधिकार मिला रहेगा. ब्रेक्जिट का मतलब है ब्रिटेन+एक्जिट. यानी ब्रिटेन का यूरोपियन यूनियन से बाहर जाना. ब्रिटेन ने साल भर पहले ही यूरोपीय यूनियन से बाहर जाने का ऐलान कर दिया था. 2016 में ब्रिटेन में यूरोपीय यूनियन से बाहर निकलने के लिए जनमत संग्रह हुआ था, जिसमें बड़ी संख्या में लोगों ने ब्रेक्जिट का समर्थन किया था. पूर्व प्रधानमंत्री थेरेसा के कार्यकाल में भी कई बार ब्रेक्जिट डील को लेकर बातचीत हुई थी, लेकिन समझौता नहीं हो सका. लेकिन मौजूदा बोरिस जॉनसन के कार्यकाल में आखिरकार यूरोपीय यूनियन के साथ सहमति बन गई है.
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