विश्व की सबसे तीखी मिर्च खाने के बाद व्यक्ति को अस्पताल में कराना पड़ा भर्ती
Advertisement

विश्व की सबसे तीखी मिर्च खाने के बाद व्यक्ति को अस्पताल में कराना पड़ा भर्ती

 मेडिकल जर्नल ‘बीएमजे केस रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित एक आलेख के मुताबिक वर्ष 2016 में 34 वर्षीय व्यक्ति ने तीखी मिर्च से जुड़ी एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हुए एक कैरोलिना रीपर खा लिया था. 

व्यक्ति ने तीखी मिर्च से जुड़ी एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हुए एक कैरोलिनारीपर खा लिया था.(प्रतीकात्मक तस्वीर)

पेरिस: विश्व की सबसे तीखी मिर्च खाने के बाद एक व्यक्ति के सिर में इतना भयानक दर्द हुआ कि उसे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. चिकित्सों ने विभिन्न मिर्चों के इस्तेमाल को लेकर सतर्क रहने की चेतावनी दी है. मेडिकल जर्नल ‘बीएमजे केस रिपोर्ट्स’ में प्रकाशित एक आलेख के मुताबिक वर्ष 2016 में 34 वर्षीय व्यक्ति ने तीखी मिर्च से जुड़ी एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हुए एक कैरोलिनारीपर खा लिया था. रपट में कहा गया है कि मिर्च खाने के तुरंत बाद व्यक्ति के गर्दन और सिर में भयानक दर्द शुरू हो गया.

उसे अगले कई दिनों तक थोड़े-थोड़े समय के लिए ही सही लेकिन भयंकर सिर दर्द से जूझना पड़ा. व्यक्ति को तब आपात चिकित्सा कक्ष में भर्ती कराना पड़ा था.हालांकि उसकी तंत्रिका संबंधी जांच के परिणाम सामान्य रहे. अंत में चिकित्सकों ने व्यक्ति को ‘रिवर्सेबल सेरेब्रल व्हासोकोनट्रक्शन सिंड्रोम ’ ( आरसीवीएस ) से पीड़ित पाया. इसमें कुछ समय के लिए मस्तिष्क में रक्त वाहिकाएं संकुचित हो जाती हैं.

यह भी पढ़ें- कैंसर से बचा सकती है मिर्च से बनी दवा की गोली

लेखकों ने कहा कि यह पहला वाकया है जब मिर्च खाने के कारण किसी व्यक्ति में आरसीवीएस की शिकायत पाई गई. अध्ययन में शामिल डेट्रॉयट स्थित हेनरी फोर्ड अस्पताल के डॉक्टर कुलोथुंगन गुणासेकरन ने कहा , ‘‘ यह सबके लिए स्तब्धकारी था.’’  उन्होंने मिर्च को लेकर सतर्क रहने की चेतावनी दी है.

कैंसर से बचा सकती है मिर्च से बनी दवा की गोली
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के शोधार्थियों का कहना है कि मिर्च के तीखेपन के लिए जिम्मेदार यौगिक प्रॉस्टेट ग्रंथि में कैंसर की कोशिकाओं को मारने वाला साबित हो सकता है. शोध करने वालों ने अपने अध्ययन में पाया कि मिर्च के यौगिक कैप्सकिन की मदद से एक दिन ऐसा इंजेक्शन या दवा की गोली बनेगी जो कैंसर से बचाने वाली साबित होगी.

शोध करने वाले अशोक कुमार मिश्रा और जितेंद्रिया स्वैन ने पाया कि इस यौगिक की ऊंची मात्रा कोशिकीय झिल्ली को तोड़ने वाली साबित हो सकती है और यहीं से कैंसर के उपचार का रास्ता निकल सकता है.करीब 10 साल पहले शोधार्थियों ने पाया था कि कैप्सकिन चूहों में प्रॉस्टेट कैंसर सेल को मारने वाला साबित हुआ जबकि अन्य स्वस्थ कोशिकाएं इससे अछूती रहीं.

इनपुट भाषा से भी 

Trending news