जिनेवा: म्यांमार (Myanmar) में तख्तापलट के खिलाफ जहां भारत सहित पूरी दुनिया आवाज उठा रही है, वहीं चीन (China) ने म्यांमार की तानाशाह सेना को खुला समर्थन दिया है. चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council) में पेश निंदा प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल करते हुए रोक लगा दी है. अमेरिका-ब्रिटेन सहित सुरक्षा परिषद के कई अस्थायी सदस्यों ने म्यांमार में हुए सैन्य तख्तापलट की निंदा करते प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन चीन ने साफ कर दिया कि उसे म्यांमार में लोकतंत्र बहाली से कोई लेनादेना नहीं.


चेतावनी का नहीं कोई असर


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म्यांमार (Myanmar) की सेना ने सोमवार सुबह कार्रवाई करते हुए आंग सान सू-की (Aung San Suu Kyi) सहित कई बड़े नेताओं को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद सेना ने ऐलान किया था कि देश में एक साल के लिए आपातकाल लगाया गया है. इस सैन्य कार्रवाई के खिलाफ दुनिया के कई देशों ने आवाज उठाई है. अमेरिका ने म्यांमार सेना को चेतावनी भी दी है कि गिरफ्तार नेताओं को जल्द रिहा नहीं किया गया, तो गंभीर परिणाम होंगे. लेकिन इसके बाबजूद सेना प्रमुख के रुख में कोई बदलाव नहीं हुआ है.   


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इन्हें है Veto का अधिकार


म्यांमार की सैन्य कार्रवाई के खिलाफ सुरक्षा परिषद में निंदा प्रस्ताव पेश किया था, जिसे मुख्य रूप से ब्रिटेन ने ड्राफ्ट किया था. लेकिन चीन ने ऐन वक्त पर वीटो का इस्तेमाल करके प्रस्ताव का विरोध कर डाला. बता दें कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के कुल पांच स्थायी सदस्य हैं और केवल इन्हें ही किसी भी प्रस्ताव को रोकने के लिए वीटो शक्ति मिली हुई है. चीन ने इसी ताकत का इस्तेमाल करते हुए निंदा प्रस्ताव से असहमति जताते हुए वीटो लगा दिया. 


G-7 ने जारी किया Statement


वहीं, G-7 में शामिल देशों ने साझा बयान जारी करते हुए म्यांमार में सैन्य कार्रवाई की निंदा की है. बयान में कहा गया है कि हम आपातकाल की स्थिति को तुरंत समाप्त करने, लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को बहाल करने, मानव अधिकारों और कानून के शासन का सम्मान करने की अपील सेना से करते हैं. गौरतलब है कि G-7 देशों में कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, यूके और यूएस शामिल हैं.


ये है China के रुख की वजह 


चीन के लिए आर्थिक और सामरिक नजरिए से म्यांमार का साथ जरूरी है. वह न केवल म्यांमार में बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव से अपनी पहुंच बंगाल की खाड़ी तक करना चाहता है, बल्कि उसकी मंशा भारत की घेराबंदी की भी है. चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग (Xi Jinping) अपनी कई महत्वकांक्षी परियोजनाओं को लेकर म्यांमार की सरकार पर दबाव बना रहे थे. लेकिन सू-की के नेतृत्व वाली सरकार चीन की चालबाजी को समझ गई थी और योजनाओं को मंजूरी देने में आनाकानी कर रही थी. यही वजह है कि अब जब सेना ने तख्तापलट कर दिया है, तो चीन को इसमें कोई आपत्ति नहीं है. बता दें कि चीन यूनान प्रांत को म्यांमार के तीन आर्थिक केंद्रों- मंडले, यंगून न्यू सिटी और क्यॉपू स्पेशल इकनॉमिक जोन (SEZ) से जोड़ने की योजना पर काम कर रहा है.