China के वरिष्ठ डॉक्टर का कबूलनामा, कहा- चीनी Corona Vaccine है कम असरदार
मेक्सिको, तुर्की, इंडोनेशिया, हंगरी, ब्राजील और तुर्की सहित कई देशों में कोरोना वैक्सीन भेजने के बाद चीन के वरिष्ठ डॉक्टर ने माना है कि चीनी वैक्सीन कम असरदार है. सरकार इन्हें और अधिक प्रभावी बनाने पर विचार कर रही है.
बीजिंग: चीन (China) के सेंटर ऑफ डिजीज कंट्रोल (CDC) के डायरेक्टर गाओ फू ने शनिवार को अपने एक भाषण के दौरान माना कि देश की कोरोना वायरस वैक्सीन (Corona Vaccine) कम असरदार है. उन्होंने कहा कि चीन के टीकों में बचाव दर बहुत ज्यादा नहीं है. इसलिए सरकार इन्हें और अधिक प्रभावी बनाने पर विचार कर रही है.
कई देशों में वैक्सीन बांट चुका है चीन
गाओ का यह बयान ऐसे वक्त में सामने आया है जब चीन ने अन्य देशों को टीकों की करोड़ों खुराकें दी हैं, और पश्चिमी देशों के टीकों के प्रभावी होने पर संदेह पैदा करने और बढ़ावा देने की भी वह लगातार कोशिश कर रहा है. गाओ ने आगे कहा, ‘अब इस बात पर गंभीरता से विचार हो रहा है कि क्या हमें टीकाकरण प्रक्रिया के लिए अलग-अलग टीकों का इस्तेमाल करना चाहिए.’
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वैक्सीन का शुरू हुआ क्लीनिकल ट्रायल
गाओ के इस बयान के बाद अधिकारियों भी रविवार को योजनाओं में संभावित परिवर्तनों को लेकर सवालों से बचते नजर आए. लेकिन सीडीसी के एक अन्य अधिकारी वांग हुआंग ने कहा कि एमआरएनए-आधारित टीकों पर काम किया जा रहा है. हमारे देश में विकसित एमआरएनए-आधारित टीके भी क्लीनिकल परीक्षण चरण में प्रवेश कर चुके हैं.
कितना असरदार निकला चीन का टीका
विदेश मंत्रालय के अनुसार, दवा निर्माता कंपनियों सिनोवैक (Synovac) और सिनोफार्म (Sinopharm) द्वारा बनाए गए टीके मेक्सिको, तुर्की, इंडोनेशिया, हंगरी, ब्राजील और तुर्की सहित कई देशों को वितरित किए गए हैं. ब्राजील के शोधकर्ताओं ने चीन की टीका निर्माता कंपनी सिनोवैक के संक्रमण रोधी टीकों के असरदार होने की दर लक्षण वाले संक्रमण से बचाव में 50.4 प्रतिशत पाई. वहीं, इसके मुकाबले फाइजर द्वारा बनाए गए टीके 97 प्रतिशत असरदार पाए गए. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अप्रूवल प्रोसेस की उलझन के कारण अमेरिका, पश्चिमी यूरोप और जापान को चीनी टीके बेचे जाने की संभावना नहीं है.
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क्या है MRNA जिसका गाओ ने किया जिक्र
गौरतलब है कि चीन ने अपने देश में किसी अन्य देश के टीके के इस्तेमाल को अभी मंजूरी नहीं दी है. गाओ ने टीके के संबंध में रणनीति पर किसी तरह के बदलाव के ब्योरे तो नहीं दिए लेकिन उन्होंने ‘एमआरएनए’ का जिक्र किया. यह प्रयोग की एक तकनीक है, जिसका इस्तेमाल पश्चिम देशों के टीका निर्माता करते हैं, वहीं चीन के दवा निर्माता पारंपरिक तकनीक का इस्तेमाल करते हैं. उन्होंने कहा, ‘प्रत्येक व्यक्ति को उन लाभ के बारे में विचार करना चाहिए, जो एमआरएनए टीके मानव जाति को पहुंचा सकते हैं. हमें सावधानी से उसका अनुसरण करना चाहिए और केवल इसलिए उसकी अनदेखी नहीं करनी चाहिए कि हमारे पास पहले से ही अनेक प्रकार के टीके हैं.’
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