उइगुरों को 'दुनिया का सबसे खुश मुसलमान' कहता है चीन, लेकिन सबूत नरसंहार के हैं!
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उइगुरों को 'दुनिया का सबसे खुश मुसलमान' कहता है चीन, लेकिन सबूत नरसंहार के हैं!

दुनिया अब धीरे धीरे चीन के काले कारनामों के बारे में बोलने लगी है. खास चीन में मानवाधिकारों के हनन, अल्पसंख्यकों के नस्लीय-जातीय संहार के मुद्दे पर. जिसमें चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के खूनी कारनामे शामिल हैं.

फाइल फोटो

न्यूयॉर्क: दुनिया अब धीरे धीरे चीन के काले कारनामों के बारे में बोलने लगी है. खास चीन में मानवाधिकारों के हनन, अल्पसंख्यकों के नस्लीय-जातीय संहार के मुद्दे पर. जिसमें चीन के कम्युनिस्ट पार्टी के अधिकारियों के खूनी कारनामे शामिल हैं. इनमें से एक बड़ा मुद्दा है चीन के शिनजियांग प्रांत में रहने वाले अल्पसंख्यक उइगुर मुसलमानों (Ethnic Minority Group Uyghur) का, जिनकी बड़ी आबादी को चीन ने किसी न किसी बहाने से या तो हिरासत कैंप में भेजकर उनसे अमानवीय तरीके से काम करवा रही है या फिर उन्हें जेलों में ठूंस दिया गया है. यही नहीं, उइगुरों की नस्लीय पहचान तक मिटाने पर आमादा चीन उनकी जबरन नसबंदी करने से लेकर पेट में पल रहे बच्चों को गिराने(मार देने) जैसे घिनौने अपराध कर रहा है. हालांकि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (Chinese Communist Party) दुनिया में उइगुरों को धरती के 'सबसे खुश मुसलमानों' (Happiest Muslims in the World) के तौर पर पेश करती है, लेकिन हकीकत में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के लोग उनका सफाया कर रहे हैं.

  1. उईगुर मुसलमानों का नस्लीय संहार कर रहा है चीन
  2. शिनजियांग प्रांत में हान जाति के लोगों को बसा रही कम्युनिस्ट पार्टी
  3. अमेरिका रिपोर्ट में उईगुरों की स्थिति पर हुआ खुलासा

अमेरिकी नेशनल रिपोर्ट में बेपर्दा हुआ चीन
नेशनल रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन जिस तरीके से उइगुरों पर सितम ढा रहा है, वो उत्तर कोरिया की तानाशाही और बंद जिंदगी से भी कड़ी है, तो दक्षिण अफ्रीका में रंगभेदी जिंदगी से भी बदतर. रिपोर्ट के लेखक जिमी क्विन ने इसकी तुलना जर्मन नरसंहार (Holocaust) से की है.

10 लाख उइगुरों को अवैध हिरासत में रखा गया है, 30 लाख से अधिक को दी जा रही जबरन 'अच्छा चीनी नागरिक' बनने की ट्रेनिंग
रिपोर्ट के मुताबिक चीन में उइगुरों को फर्जी केसों में फंसाकर जेलों में ठूंसा गया है. करीब 10 लाख से अधिक उइगुरों को डिटेंशन सेंटर में रखा गया है. उनके बारे में भव के परिवारों को भी कोई जानकारी नहीं मिल पाती है. वहीं 30 लाख से अधिक युवाओं को 'अच्छा चीनी नागरिक' बनाने और वोकेशनल ट्रेनिंग के नाम पर तमाम सेंटर्स में रखा गया है. इनसे भी चीनी सरकार अवैध तरीके से खूब काम करवाती है. ये लोग भी न तो अपने परिवारों से मिल सकते हैं, न ही किसी धार्मिक गतिविधि को अंजाम दे सकते हैं. इन सबके पीछे चीन उइगुरों के विकास का राग अलापता है, जबकि सच्चाई ये है कि चीन शिनजियांग प्रांत से उइगुरों का नामोनिशान मिटा देना चाहता है. इसके लिए वो जातीय और नस्लीय तरीके से उइगुरों का सफाया कर रहा है. यही नहीं, शिनजियांग में चीनी बहुसंख्यक समुदाय हान लोगों को भी बसाया जा रहा है, ताकि शिनजियांग की स्थिति पूरी तरह से उसके कब्जे में आ जाए.

कौन हैं उइगुर मुसलमान?
शिनजियांग प्रांत में तुर्क नस्ल के मुसलमान उइगुर कहे जाते हैं. उइगुर शिनजियांग प्रांत को उसके असली नाम पूर्वी तुर्किस्तान (ईस्ट तुर्केस्तान) कहते हैं. उइगुर मुसलमान हर रोज नमाज पढ़ते थे और डाढ़ी भी रखते थे. लेकिन अब दोनों पर ही रोक है. ये अब शिनजियांग प्रांत में अल्पसंख्यक बना दिए गए हैं, जे पहले बहुसंख्यक होते थे. अब चीनी सरकार अलगाववाद का ठप्पा लगाकर उइगुरों का उत्पीड़न कर रही है. और उनके की नस्लीय पहचान मिटाकर उन्हें 'चीनी कम्युनिस्ट यानि नास्तिक' बनाना चाहती है.

बच्चे पैदा करने पर रोक, जबरन गर्भनिरोधकों का इस्तेमाल-गर्भपात कराया जा रहा हैै: जर्मन वैज्ञानिक
जून माह में जर्मनी के मानवविज्ञानी एड्रियन जेंज ने बड़ा खुलासा किया था. उन्होने कहा कि चीनी सरकार शिनजियांग में अलग अलग तरीकों से उइगुरों की नस्लीय पहचान को खत्म कर रही है. उसके लिए महिलाओं को गर्भनिरोधकों का जबरन इस्तेमाल करने का जोर डाला जाता है. यही नहीं, शिनजियांग की राजधानी से लेकर चीन की राजधानी बीजिंग तक ऐसे तमाम सेंटर खोले गए हैं, जिसमें उइगुर महिलाओं का जबरन गर्भपात कराया जाता है. साल 2019 में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के धार्मिक मामलों के अधिकारियों को साफ निर्देश मिले हैं, 'आबादी को बढ़ने ही मत दो, उनकी जड़ों से काट दो, उन्हें अपनों से दूर कर दो और उनकी असलियत को मिटा दो.'

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दौलत के दम पर सहयोगियों का मुंह बंद रखता है चीन
उइगुरों से जुड़े मामलों और जानकारियों को चीन किसी भी हद तक जाकर उसे दुनिया से छिपाने में लगा है. इसके लिए उसने अपनी दौलत का भी इस्तेमाल किया है  इसका सबूत 'संयुक्त राष्ट्र का ह्यूमन राइट्स काऊंसिल' में तब मिला, जब दुनिया के 46 देशों ने चीन के पक्ष में मतदान किया.  उदाहरण के तौर पर पाकिस्तान को देखें, तो किसी भी अन्य देश की तरह चीन पर निर्भर है. खुद को मुसलमानों का अगुवा कहने वाला पाकिस्तान और यहां तक कि सऊदी अरब ने भी उइगुरों की आवाज नहीं उठाई. इस तरह से एशियाई और अफ्रीकी देश चीन से कर्ज तले दबे हैं और हर वैश्विक मंच पर चीन की आवाज बनते हैं।

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के दम पर नागरिकों पर निगरानी बढ़ा रहा है चीन
ताजी जानकारियों के मुताबिक चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग अब आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के दम पर चीनी नागरिकों पर हर समय नजर रखने की रणनीति बना ली है. इसके तहत लाखों डिजिटल कैमरे लगाए जा रहे हैं. जो हर किसी के चेहरे पढ़कर उसकी पूरी जानकारी चीनी अधिकारियों को दे देगा. यही नहीं, चीन अपने नागरिकों के फोन, टेक्स्ट मैसेज पर भी नजर रख रहा है.

चीन पर लगाम लगाने की मांग
अमेरिका में रह रहे उइगुर मुसलमान लंबे समय से चीन के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. यूएस कांग्रेस के सामने 2018 में अपना लिखित बयान दर्द कराने वाले मिहिरकुल तुर्सुन ने कहा, 'चीनी अधिकारियों ने मेरे बेटे पर जमकर अत्याचार ढाए और उसे मेरी आंखों के सामने मार दिया गया. इसी तरह से अनगिनत उइगुरों को चीनी सरकार मार रही है. ये युद्ध अपराध की तरह है और संयुक्त राष्ट्र के साथ ही वैश्विक समुदाय को भी अब चीन के खिलाफ कदम उठाना होगा.'

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