Malabar Exercise 2023: भारत की बढ़ती ताकत से चीन परेशान है. 'ड्रैगन' को बीते कुछ सालों में भारत की मजबूती रणनीति से पार पाने में पसीने छूट रहे हैं. इस चक्रव्यूह से उसे तगड़ा सदमा लगा है क्योंकि क्वाड (QUAD) से जीतना बीजिंग के लिए नामुमकिन है. ऐसे में 11 दिन तक वो चुपचाप इस ड्रिल पर नजर बनाए रहा.
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Malabar Naval Exercise concludes off: भारत (India), आस्ट्रेलिया (Australia), जापान (Japan) और अमेरिका (America) की नौसेनाओं (Navy) की भागीदारी वाला 11 दिवसीय मालाबार नौसेना अभ्यास सफलतापूर्वक संपन्न हो गया. इस ड्रिल से जुड़े सैन्य अधिकारियों ने बताया कि आस्ट्रेलिया के पूर्वी तट पर हुए अभ्यास के 27वें सत्र में हवा, सतह और समुद्र के अंदर जटिल अभ्यास देखने को मिला. इसी दौरान दुनिया ने 'क्वाड' की ताकत यानी भारतीय नौसेना (Indian Navy), रॉयल आस्ट्रेलियन नेवी, जापान मेरीटाइम सेल्फ डिफेंस फोर्स और अमेरिकी नौसेना के सर्वशक्तिमान युद्ध पोतों, पनडुब्बी और सर्वश्रेष्ठ लड़ाकू विमानों का दम देखा. इस आयोजन से चीन (China) को तगड़ा झटका लगा है, क्योंकि वह इसे अपने खिलाफ शुरू की गई मुहिम मानता है.
इन युद्धपोतों ने दिखाया दम
मालाबार युद्धाभ्यास में भारत का प्रतिनिधित्व स्वदेश निर्मित विध्वंसक आईएनएस कोलकाता, फ्रिगेट INS सह्याद्रि और P8I समुद्री गश्ती विमान ने किया. इसके अलावा RAN जहाज HMAS चॉल्स और HMAS ब्रिस्बेन, USS राफेल पेराल्टा, JS शिरानुई के साथ चारों देशों की पनडुब्बियां, लड़ाकू विमान, समुद्री टोही विमान और शिपबोर्न हेलीकॉप्टर भी शामिल थे. भारतीय नौसेना ने अपने बयान में कहा, ‘मालाबार के समुद्री चरण अभ्यास में हवा, सतह और समुद्र के अंदर जटिल और अधिक गहन अभ्यास देखने को मिला.’
चीन मानता है खतरा
मालाबार अभ्यास साल 1992 में पहली बार भारत और अमेरिका ने किया था. इसके बाद 2015 में जापान और 2020 में ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं ने भी इस अभ्यास में भाग लेना शुरू किया. मालाबार अभ्यास में भारत, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान की साझेदारी को चीन अपने लिए खतरे के तौर पर देखता है. चीन का आरोप है कि ये अभ्यास उसे टारगेट करके किया जाता है. हाल ही में कुछ ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं कि चीन ने भारत और उसके पक्के दोस्तों की ताकत से डरकर अपने कई लोअर ऑर्बिट सैटेलाइट्स को मालाबार अभ्यास की निगरानी के लिए तैनात किया था.