दलाई लामा से बातचीत की बहाली के चीन ने दिए संकेत
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दलाई लामा से बातचीत की बहाली के चीन ने दिए संकेत

कई वर्षों में पहली बार दलाई लामा के साथ बातचीत बहाल करने के संकेत देते हुए चीन ने आज कहा कि वह तिब्बती आध्यात्मिक नेता के साथ ‘प्रासंगिक मुद्दों’ पर बात के लिए तैयार है लेकिन इन मुद्दों में उनकी हिमालयी मातृभूमि तिब्बत के लिए आजादी या ‘ज्यादा स्वायत्तता’ का मुद्दा शामिल नहीं है।

दलाई लामा से बातचीत की बहाली के चीन ने दिए संकेत

बीजिंग : कई वर्षों में पहली बार दलाई लामा के साथ बातचीत बहाल करने के संकेत देते हुए चीन ने आज कहा कि वह तिब्बती आध्यात्मिक नेता के साथ ‘प्रासंगिक मुद्दों’ पर बात के लिए तैयार है लेकिन इन मुद्दों में उनकी हिमालयी मातृभूमि तिब्बत के लिए आजादी या ‘ज्यादा स्वायत्तता’ का मुद्दा शामिल नहीं है।

चीन की सलाहकार विधायी संस्था चाइनीज पीपुल्स पॉलिटिकल कंसल्टेटिव कॉन्फ्रेंस की राष्ट्रीय समिति की सजातीय एवं धार्मिक मामलों की समिति के प्रमुख झोउ वीकुन ने मीडिया को बताया, ‘हम उम्मीद करते हैं कि दलाई लामा अपने अलगाववादी रवैये और भ्रामक ‘मध्यमार्गी’ रूख को छोड़ सकते हैं।

झोउ ने 79 वर्षीय तिब्बती आध्यात्मिक नेता पर तिब्बत में आत्मदाह के जरिए किए जाने वाले विरोध प्रदर्शनों को भड़काकर तिब्बत में अस्थिता पैदा करने का आरोप लगाया। इस तरह के विरोध प्रदर्शनों में अब तक 120 तिब्बती मारे जा चुके हैं। हालांकि झोउ ने कहा कि चीन दलाई लामा के साथ आजादी और इससे संबंधित मुद्दों से इतर अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है।

झोउ ने कहा, ‘चीन उम्मीद करता है कि भविष्य में वह जान पाएंगे कि वह गलत काम कर रहे हैं और वह खुद को सही कर सकते हैं और तिब्बत क्षेत्र में अवरोधों को रोक सकते हैं। वह विभिन्न प्रासंगिक मुद्दों पर चर्चा के लिए हमसे संपर्क कर सकते हैं।’

झोउ ने कहा, ‘हम उनके साथ आजादी और इससे जुड़े मुद्दों पर चर्चा नहीं करेंगे लेकिन अन्य मुद्दों पर हम चर्चा कर सकते हैं।’ यह संभवत: पहली बार है, जब एक वरिष्ठ चीनी अधिकारी ने दलाई लामा के साथ बातचीत के बारे में कुछ कहा है। दलाई लामा ने पिछले साल तिब्बत के पवित्र पर्वत की तीर्थयात्रा की इच्छा जाहिर की थी। यह संदेश वह अनौपचारिक तौर पर बीजिंग को दे रहे थे।

हालांकि चीनी विदेश मंत्रालय ने इस संदर्भ में किसी भी कयास को खारिज करते हुए कहा कि दलाई लामा को ईमानदारी के साथ चीन को तोड़ने की अपनी कोशिशें छोड़ देनी चाहिए और अलगाववादी गतिविधियां बंद करनी चाहिए।

दलाई लामा के प्रतिनिधियों और चीनी अधिकारियों के बीच बातचीत वर्ष 2010 से अवरूद्ध है और इस मामले में तब भी कोई प्रगति नहीं हो सकी थी, जब उन्होंने कहा था कि वह तिब्बत को चीन का हिस्सा मानते हैं। हालांकि बीजिंग की ओर से दलाई लामा की ग्रेटर तिब्बत की मांग पर सवाल उठाना अभी भी जारी है।

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