चीन ने दक्षिणी चीन सागर में पहली बार तैनात किए बॉम्बर्स, अमेरिका ने दी चेतावनी
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चीन ने दक्षिणी चीन सागर में पहली बार तैनात किए बॉम्बर्स, अमेरिका ने दी चेतावनी

चीन की वायु सेना ने बताया कि उनके एच-6 के बमवर्षक सहित युद्धक विमानों ने हाल ही में दक्षिण चीन सागर में उड़ान भरने और उतरने का प्रशिक्षण लिया है.

दक्षिण चीन सागर के ऊपर चीन के एच-6 बमवर्षक विमान. (AP File Pic)

बीजिंग: चीन ने विवादित दक्षिण चीन सागर में पहली बार बमवर्षक विमान तैनात किए हैं. चीन के इस कदम पर अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि यह कदम क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता को बढ़ाएगा. चीन की वायु सेना ने बताया कि उनके एच-6 के बमवर्षक सहित युद्धक विमानों ने हाल ही में दक्षिण चीन सागर में उड़ान भरने और उतरने का प्रशिक्षण लिया है. हांग-कांग के दक्षिम चीन मॉर्निंग पोस्ट में पीपुल्स लीबरेशन एयर फोर्स को यह कहते हुए उद्धृत किया, “इस प्रशिक्षण ने वायु सेना के पूरे क्षेत्र में पहुंचने, पूरी क्षमता और सटीक समय में मार करने की क्षमता को बढ़ा दिया है.”

  1. चीन के एच-6 के बमवर्षक सहित युद्धक विमानों ने दक्षिणी चीन सागर के ऊपर भरी उड़ान.
  2. अमेरिका ने कहा कि कदम क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता को बढ़ाएगा.
  3. चीन के इस कदम को अमेरिका ने सैन्यीकरण करने की कोशिश बताया.

चीन के इस कदम पर अमेरिका ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि यह कदम इस क्षेत्र में तनाव और अस्थिरता बढ़ाएगा. पोस्ट की खबर के मुताबिक पेंटागन के एक प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल क्रिस्टोफर लोगन ने इस अभ्यास को चीन की ओर से इस विवादित क्षेत्र का सैन्यकरण करने की कोशिश बताया है.

उत्तर कोरिया के साथ वार्ता ना होने पर अगला कदम उठाएंगे ट्रंप, रिश्तों में तल्खी के लिए चीन पर बरसे

इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने शुक्रवार (18 मई) को कहा था कि उत्तर कोरिया के साथ निर्धारित शिखर वार्ता ना होने पर अमेरिका अगला कदम उठाएगा. इसके साथ ही उन्होंने दोनों नेताओं के बीच होने वाली ऐतिहासिक वार्ता पर प्योंगयांग के रुख बदलने के लिए चीन को जिम्मेदार ठहराया था. सिंगापुर में ट्रंप और किम के बीच होने वाली शिखर वार्ता पर अब भी संदेह के बादल मंडरा रहे हैं क्योंकि उत्तर कोरिया ने मंगलवार (15 मई) को अमेरिका पर एकतरफा परमाणु निरस्त्रीकरण का आरोप लगाते हुए 12 जून को होने वाली वार्ता से पीछे हटने की धमकी दी थी.

प्योंगयांग ने अमेरिका और दक्षिण कोरिया के बीच सैन्य अभ्यासों पर भी आपत्ति जतायी है. ट्रंप ने ओवल कार्यालय में पत्रकारों से कहा, ‘‘हम देखेंगे की क्या होता है. अगर बैठक हुई तो हुई.. और अगर नहीं हुई तो हम अगला कदम उठाएंगे.’’ किम को तसल्ली देने के लिए ट्रंप ने उसे सत्ता में रहने के लिए परमाणु हथियार त्यागने का प्रस्ताव दिया साथ ही धमकी भी दी थी कि कूटनीति विफल होने पर लीबिया जैसे हालात पैदा हो सकते हैं और उत्तर कोरियाई नेता का वहीं हश्र हो सकता है जैसा मुअम्मार अल-गद्दाफी का हुआ था. गद्दाफी को सत्ता से हटा उसकी हत्या कर दी गई थी.

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