व्हाइट हाउस ने कहा कि चीन को यह फैसला करना है कि उसके हित में क्या बेहतर है.
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वॉशिंगटन: अमेरिका ने संकेत दिया है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप चीन में राष्ट्रपति पद के कार्यकाल की सीमा को खत्म किए जाने की कम्युनिस्ट पार्टी की योजना को लेकर चिंतित नहीं है. व्हाइट हाउस ने कहा कि चीन को यह फैसला करना है कि उसके हित में क्या बेहतर है. अमेरिका की यह सतर्क प्रतिक्रिया उस वक्त आई है जब कुछ दिनों पहले चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने बीते रविवार को देश के संविधान में संशोधन का प्रस्ताव दिया जिससे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के दो बार के कार्यकाल की सीमा की खत्म किया जाना है.
चीन के इस कदम से शी अनिश्चितकाल के लिए पद पर बने रह सकते हैं. व्हाइट हाउस की प्रवक्ता सारा सैंडर्स ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘मेरा मानना है कि चीन को यह फैसला करना है कि उसके हित में क्या बेहतर है. ’’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप कार्यकाल की सीमा का समर्थन करते हैं, लेकिन इस संदर्भ में कोई भी फैसला चीन को करना है.
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चीन की राजनीति
चीन की राजनीति में इस मौके को एक निर्णायक घड़ी के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि चीन तेजी से दुनिया का सुपरपावर बनने की रेस में सबसे तेजी से उभर रहा है. वैसे भी चीन ने अगले दशकों के लिए डबल डिजिट आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य रखा है. चीन के गांवों का तेजी से शहरीकरण हो रहा है.
जननायक छवि
वैसे चीन के बारे में यह कहा जाता है कि वह अपने नेता की छवि को बेहद करीने से पेश करता है. इस बात पर भी पैनी नजर रखता है कि नेता के बारे में क्या कहा जाता है. इसी कारण शी जिनपिंग खुद को पीली मिट्टी का बेटा कहते हैं. उनको महान शख्स के रूप में पेश किया गया है. उनको लंच के लिए कतार में खड़े देखा जाता है. वह अपना बिल खुद भरते हैं. मोहल्ले के गली-कूचों में घूमते हैं और जनता की जुबान में बात करते हैं. इस तरह की कल्ट पर्सनालिटी के बीच उनकी असल जिंदगी के बारे में बाहरी दुनिया को ज्यादा कुछ पता नहीं है.
अंतर्मुखी व्यक्तित्व
शी को अपने काम को संजीदा ढंग से करने वाले बेहद महत्वाकांक्षी नेता के रूप में जाना जाता है. वो अपने पिता की वजह से बचपन से ही कम्युनिस्ट पार्टी की राजनीति को बेहतर ढंग से समझते थे. इसलिए 21 साल की उम्र में जब उन्होंने सियासत में कदम रखा तो उसके बाद से ही खुद के दामन को किसी भी प्रकार के दाग से बचाए रखने के लिए हमेशा जतन किए. राष्ट्रपति बनने से पहले वो इतने अंतर्मुखी राजनेता के रूप में जाने जाते थे जो बोरियत की हद तक खामोश शख्स थे. वो केवल अपने काम से काम रखने वाले बेहद लो प्रोफाइल नेता थे.
इसलिए जब 2012 में उनकी पार्टी का नेता चुना गया तो किसी ने कोई विरोध नहीं किया लेकिन पांच साल के भीतर ही वह चीनी समाज के जेहन में छा गए हैं. अब यदि कम्युनिस्ट पार्टी के प्रस्ताव पर मुहर लग जाती है तो उनके लिए आगे की राह बहुत आसान होगी. फिलहाल चीनी सियासत में उनकी मुखालफत करने वाला दूर-दूर तक कोई नहीं है. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि यदि यह प्रस्ताव पारित होता है तो आने वाले वर्षों के लिहाज से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी कमजोर होगी और पार्टी के मुकाबले व्यक्ति मजबूत होगा.
इनपुट भाषा से भी