चीन ने पूरी दुनिया को चेताया, पाकिस्तान में चीनी नौसैनिक अड्डे के बारे में अनुमान लगाना छोड़ दें
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चीन ने पूरी दुनिया को चेताया, पाकिस्तान में चीनी नौसैनिक अड्डे के बारे में अनुमान लगाना छोड़ दें

भारत, अमेरिका जैसे देशों के विरोध के बाद भी चीन अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है. इस बार चीन ने साफ शब्दों में दुनिया को संदेश दिया है कि वह पाकिस्तान के ग्वादर के पास नौसैनिक अड्डा बना रहा है.

ग्वादर बंदरगाह की फाइल फोटो. तस्वीर साभार: Reuters

बीजिंग: भारत, अमेरिका जैसे देशों के विरोध के बाद भी चीन अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहा है. इस बार चीन ने साफ शब्दों में दुनिया को संदेश दिया है कि वह पाकिस्तान के ग्वादर के पास नौसैनिक अड्डा बना रहा है. चीन ने मंगलवार को पूरी दुनिया को संबोधित करते हुए कहा कि अरब सागर में पाकिस्तान के ग्वादर के पास नौसैनिक अड्डा बनाने की चीन की कथित योजना के बारे में वह अनुमान लगाना छोड़ दे. चीन 50 अरब डॉलर वाले चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है. यह आर्थिक गलियारे का अंतिम बिंदु है जो चीनी शहर कशगर से शुरू होता है. 

  1. पाकिस्तान के ग्वादर के पास नौसैनिक अड्डा बना रहा है चीन
  2. प्रेस कांफ्रेंस कर चीन ने कहा, दुनिया नौसैनिक अड्डे के बारे में सोचना छोड़ दें
  3. चीन 50 अरब डॉलर से ग्वादर बंदरगाह को विकसित कर रहा है

सिविल बंदरगाह को नौसैनिक अड्डा बनाना चाहता है चीन
मीडिया रिपोर्ट ने बीजिंग स्थित सैन्य विश्लेषक झोउ चेनमिंग के हवाले से बताया, "चीन को अपने युद्धपोतों के लिए ग्वादर में एक और अड्डा स्थापित करने की आवश्यकता है, क्योंकि ग्वादर अब एक सिविल बंदरगाह बन चुका है."

चीनी नौसैनिक अड्डे को नकार रहा है पाकिस्तान
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लू कांग ने कहा, "जैसा कि आप जानते हैं कि सीपीईसी का निर्माण बेल्ट और रोड पहल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और चीन एवं पाकिस्तान सीपीईसी बनाने के प्रयास भी कर रहे हैं जो दोनों देशों के सामान्य हित में है. इसलिए मैं समझता हूं कि बाहरी दुनिया को इस बारे में अनुमान लगाना छोड़ देना चाहिए."

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पाकिस्तानी मीडिया के मुताबिक, इस्लामाबाद में अधिकारियों ने किसी भी चीनी नौसैनिक अड्डे के बनने से इनकार किया है. ग्वादर अरब सागर में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है और ईरान के चाबहार बंदरगाह से लगभग 70 किलोमीटर दूर है. चाबहार बंदरगाह भारत द्वारा विकसित किया जा रहा है. चीन ने पिछले साल अफ्रीका के जिबूती में अपना पहला विदेशी सैन्य अड्डा खोला था.

ग्वादर बंदरगाह की सुरक्षा के लिए चीन ने पाकिस्तान को सौंपे थे पोत
करीब दो साल पहले चीन ने ग्वादर बंदरगाह और 46 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) के तहत आने वाले व्यापारिक मार्गों की सुरक्षा के लिए पाकिस्तानी नौसेना को दो पोत सौंपे थे. पाकिस्तान के अशांत बलूचिस्तान प्रांत में पड़ने वाले ग्वादर बंदरगाह को सीपेक के तहत विकसित किया जा रहा है जो पश्चिमी चीन को वाया पाकिस्तान पश्चिम एशिया, अफ्रीका और यूरोप से जोड़ने का काम करेगा.

‘हिंगोल’ और ‘बासोल’ नामक दो पोत पाकिस्तानी नौसेना के वरिष्ठ अधिकारी वायस एडमिरल आरिफुल्ला हुसैनी के सुपुर्द किए गए. हाल ही में चीन में निर्मित ये पोत पाकिस्तानी नौसेना का हिस्सा होंगे और इनका इस्तेमाल अरब सागर में समुद्री क्षेत्र की सुरक्षा के लिए किया जाएगा. इन पोतों को सौंपे जाने के मौके पर ग्वादर में एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें चीन के कई अधिकारी मौजूद थे.

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नई लाइन चीन के उत्तर पश्चिमी गानसू प्रांत की राजधानी लानझोउ को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को जोड़ेगी. (फाइल फोटो)

भारत से बढ़ सकती है तकरार
चीन अरबों डॉलर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपेक) से पाकिस्तान के लिए सड़क और रेल माल ढुलाई सेवा शुरू करने की योजना बना रहा है. नई लाइन चीन के उत्तर पश्चिमी गानसू प्रांत की राजधानी लानझोउ को पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट को जोड़ेगी और झिनजियांग उग्यूर स्वायत्त क्षेत्र के कासगर से गुजरेगी. 

सरकारी संवाद समिति शिन्हुआ ने लानझोउ इंटरेनशनल ट्रेड एंड लोजिस्टिक्स पार्क के निदेशक शू चुनहुआ के हवाले से यह जानकारी दी. हालांकि यह स्पष्ट नहीं हुआ है कि यह सेवा कब शुर की जाएगी, लेकिन इससे भारत चिंतित हो सकता है. पिछले साल मई में लानझोउ और काठमांडो के बीच रेल और रोड मालढुलाई सेवा शुरू की गयी थी.

शू ने कहा कि माल ढुलाई सेवा का दक्षिण एशियाई देशों ने स्वागत किया है. वर्ष 2016 में चीन और नेपाल के बीच द्विपक्षीय व्यापार तीन अरब युआन (44 करोड़ डॉलर) का था और इस साल इस व्यापार के बढ़कर 10 अरब युआन तक पहुंचने की अनुमान है.

पिछले दिसंबर में चीन ने 50 अरब डॉलर के चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे के पश्चिमी मार्ग से निर्यात के लिए चीनी वस्तुओं का पहला व्यापारिक खेप शुरू किया था और इसे ग्वादर बंदरगाह के माध्यम से भेजा था. यह गलियारा पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के रास्ते जा रहा है.

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