जॉर्ज फ्लॉयड पर अमेरिका की आलोचना करने वाले चीन का दामन खुद है दागदार
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जॉर्ज फ्लॉयड पर अमेरिका की आलोचना करने वाले चीन का दामन खुद है दागदार

अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) की मौत के बाद भड़की हिंसा से चीन को अमेरिका पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. बीजिंग ने एक वीडियो जारी करके अमेरिकी पुलिस बल की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं.

फाइल फोटो

बीजिंग: अश्वेत जॉर्ज फ्लॉयड (George Floyd) की मौत के बाद भड़की हिंसा से चीन को अमेरिका पर निशाना साधने का मौका मिल गया है. बीजिंग ने एक वीडियो जारी करके अमेरिकी पुलिस बल की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े किये हैं. उसका यह भी कहना है कि पश्चिमी मीडिया अमेरिकी पुलिस की आलोचना नहीं करेगा लेकिन उसे हांगकांग पुलिस में दोष ज़रूर नजर आ जाएंगे.  

चीन द्वारा जारी वीडियो में दंगे और लूटपाट के दृश्य दिखाए गए हैं. साथ ही आंकड़ों के जरिये यह बताने का प्रयास किया गया है कि अमेरिक की पुलिस क्रूर है. वीडियो राष्ट्रपति ट्रंप के पुलिस का बचाव करने की भी आलोचना करता है. यह बात सही है कि अमेरिका में जो कुछ हुआ उसकी आलोचना की जानी चाहिए, मगर आलोचना का यह अधिकार चीन को नहीं है. क्योंकि वह हांगकांग (Hong Kong) में खुद मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ा रहा है. उसकी पुलिस खुलेआम लोगों का उत्पीड़न कर रही है.  

चीन भले ही कुछ भी कहे लेकिन हांगकांग और मिनियापोलिस के मामलों में कई अंतर हैं. उदाहरण के तौर पर पुलिस अधिकारी के हाथों जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या किसी सरकारी आदेश पर नहीं हुई थी. जबकि हांगकांग में असंतोष का दमन चीनी सरकार का आदेश है. माओत्से तुंग (Mao Zedong) के दौर में शुरू हुई सांस्कृतिक क्रांति ने चीनी सभ्यता को मिटा दिया था. मौजूदा समय में चीन केवल एक ही बात जानता है, अपनी संस्कृति दूसरों पर थोपना. 2018 में राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने एक आदेश जारी किया था, जिसका उद्देश्य मुस्लिमों का चीनीकरण था और हुई मुस्लिम (Hui Muslims) भी इसमें शामिल थे. तब से सरकार ‘हुई’ संस्कृति को अरब कहती आ रही है. बीजिंग इसे विदेशी संस्कृति मानता है न कि चीनी. चीन ने कई बार धार्मिक स्थानों पर हमला किया, मस्जिदों को नष्ट कर दिया और कुछ को फिर से ऐसे बनाया ताकि वे अधिक चीनी दिखाई दें.

चीन ने सांस्कृतिक क्रांति के दौरान इस क्षेत्र में सभी अरबी प्रतीकों पर प्रतिबंध लगा दिया. 1975 में पीपल लिबरेशन आर्मी ने 300 बच्चों सहित 1,500 से अधिक हुई मुस्लिमों की हत्या कर दी और 4,000 से अधिक घर भी नष्ट किये गए. 

आज शी जिनपिंग जातीय एकता का आह्वान करते हुए हुई क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं. लेकिन वे शायद भूल गए हैं कि कई मुस्लिमों को रीएजुकेशन शिविरों में भेज दिया गया है. उन्हें झिंजियांग के उइघुर मुसलमानों की तरह यातनाएं दी गई हैं, दस लाख से अधिक हिरासत में हैं. बहुत से लोगों पर झूठा आरोप लगाकर उन पर मुकदमा चलाया जा रहा है. उन्हें बिना सबूत या नियत प्रक्रिया के दोषी करार दिया गया है. इसके अलावा, उन्हें राष्ट्रपति शी जिनपिंग की प्रशंसा करने वाले वीडियो देखने के लिए मजबूर किया जाता है. अब वही आदमी खुद को अल्पसंख्यकों के मसीहा के रूप में पेश कर रहा है. अमेरिकी पुलिसिंग पर सवाल खड़े कर रहा है. शी और चीन को चाहिए कि दूसरों पर अंगुली उठाने से पहले अपने गिरेबां में झांकें.

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