'शी जिनपिंग के दूसरे कार्यकाल में चीन डोकलाम जैसे मुद्दों से सीधे निपटेगा'
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'शी जिनपिंग के दूसरे कार्यकाल में चीन डोकलाम जैसे मुद्दों से सीधे निपटेगा'

चाइना इंस्टीट्यूट्स ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशन के उपाध्यक्ष युआन पेंग ने कहा, ‘‘अतीत में हमें लगता था कि हम अंतरों को पाट देंगे. अब हम विवादों से चतुष्पक्षीय तरीके से निपटेंगे.’’

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग. (फाइल फोटो)

बीजिंग: चीन के एक विशेषज्ञ ने बुधवार (15 नवंबर) को कहा कि राष्ट्रपति शी जिनपिंग के दूसरे कार्यकाल में चीन डोकलाम में टकराव और दक्षिण चीन सागर से जुड़े विवाद से ‘चतुष्पक्षीय’ तरीके से निपटेगा और अपने वैधानिक हितों की रक्षा के लिए सीधा मुकाबला करेगा. चाइना इंस्टीट्यूट्स ऑफ कंटेम्पररी इंटरनेशनल रिलेशन के उपाध्यक्ष युआन पेंग ने कहा, ‘‘अतीत में हमें लगता था कि हम अंतरों को पाट देंगे. अब हम विवादों से चतुष्पक्षीय तरीके से निपटेंगे.’’ कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना (सीपीसी) के पांच साल में एक बार होने वाली हालिया कांग्रेस को लेकर पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह बात कही. युआन ने कहा कि शी के नेतृत्व में चीन डोकलाम जैसे मुद्दे से सीधे तरीके से निपटेगा.

  1. डोकलाम में भारतीय सेना और पीएलए आमने-सामने आ गई थी.
  2. भारतीय सेना ने डोकलाम में चीन के सड़क बनाए जाने का विरोध किया था.
  3. भारत, चीन और भूटान तीनों देश की सीमाएं डोकलाम में मिलती हैं.

चीन को उम्मीद, भारत-अमेरिका-जापान-ऑस्ट्रेलिया बैठक उसके खिलाफ नहीं है

इससे पहले भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच पहली चतुर्पक्षीय बैठक पर सीधी प्रतिक्रिया नहीं जताते हुए चीन ने समूह से उसे दूर रखे जाने पर सवाल खड़े किए और उम्मीद जताई कि ‘हिंद-प्रशांत’ की नयी संकल्पना इसके खिलाफ नहीं है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘संबंधित प्रस्ताव पारदर्शी एवं समग्र होने चाहिए और लाभप्रद सहयोग के अनुकूल होना चाहिए और इसका राजनीतिकरण करने और संबंधित पक्षों को बाहर करने से बचा जाना चाहिए.’’ वह हिंद-प्रशांत संकल्पना और चतुर्पक्षीय बैठक पर कई सवालों का जवाब दे रहे थे. बैठक रविवार (12 नवंबर) को मनीला में हुई थी.

यह पूछने पर कि ‘‘संबंधित पक्षों को बाहर करने’’ से उनका तात्पर्य चीन को इसमें शामिल नहीं करने से है तो गेंग ने कहा कि चीन संबंधित देशों के बीच दोस्ताना सहयोग का स्वागत करता है. उन्होंने कहा, ‘‘हम उम्मीद करते हैं कि इस तरह के संबंध तीसरे पक्ष के खिलाफ नहीं होंगे और क्षेत्रीय शांति एवं स्थिरता के अनुकूल होंगे. यह आम संकल्पना है और मेरा मानना है कि इस तरह का रूख किसी भी प्रस्ताव पर लागू होता है.’’

पूर्ववर्ती एशिया-प्रशांत संकल्पना के स्थान पर हिंद-प्रशांत संकल्पना को स्वरूप देते हुए अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया के बीच कल मनीला में आसियान शिखर सम्मेलन से पहले पहली आधिकारिक स्तर की वार्ता हुई. इस सामरिक क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के बीच क्षेत्र को ‘‘मुक्त और खुला’’ रखने के लिए यह बैठक हुई.

इस पहल का उद्देश्य इलाके में चीन के आक्रामक रुख का प्रतिरोध करना है. वे इस बात पर सहमत हुए कि मुक्त, खुला, समृद्ध और समग्र हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों और खासकर दुनिया के हितों के अनुकूल है. अधिकारियों ने आतंकवाद के साझा चुनौती का समाधान करने पर भी वार्ता की. अमेरिकी अधिकारियों ने पहले कहा था कि एशिया प्रशांत के स्थान पर नया शब्द ‘‘हिंद-प्रशांत’’ भारत के उभरते महत्व को दर्शाता है जिसके साथ अमेरिका के मजबूत संबंध हैं.

(इनपुट एजेंसी से भी)

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