इस संबंध में कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे क्योंकि जब कम्युनिस्ट पार्टी की हर पांच साल में होने वाली बैठक पिछले साल आयोजित हुई थी तो उसमें शी जिनपिंग के उत्तराधिकारी के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी.
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चीन की सर्वशक्तिमान सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी ने पिछले दिनों ऐसा प्रस्ताव पेश किया है जिसके पारित होने की स्थिति में राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति दो बार के कार्यकाल से भी अधिक समय तक सत्ता में रह सकेंगे. इसको इस अर्थ में समझा जा रहा है कि इससे राष्ट्रपति शी जिनपिंग(64) के लंबे समय तक सत्ता में बने रहने का रास्ता साफ हो जाएगा. विश्लेषक ये भी कयास लगा रहे हैं कि वह ताउम्र सत्ता में बने रह सकते हैं. इस संबंध में कयास पहले से ही लगाए जा रहे थे क्योंकि जब कम्युनिस्ट पार्टी की हर पांच साल में होने वाली बैठक पिछले साल आयोजित हुई थी तो उसमें शी जिनपिंग के उत्तराधिकारी के बारे में कोई चर्चा नहीं हुई थी. ऐसा इसलिए भी क्योंकि आधुनिक चीन के निर्माता माओत्से तुंग के बाद शी जिनपिंग को सबसे शक्तिशाली नेता माना जा रहा है.
शी जिनपिंग (1953)
जब 1960 के दशक में चेयरमैन माओत्से तुंग ने सांस्कृतिक क्रांति का नारा दिया तो उस वक्त युवा पीढ़ी को गांवों में किसानी के लिए भेजा गया. 1968 में चेयरमैन माओ ने फरमान दिया कि युवा लोग गांवों को बेहतर बनाने के लिए शहर से वहां जाएं. इसके पीछे मकसद यह था कि ये युवा जिंदगी के यथार्थ को महसूस करें और किसानों और मजदूरों की जिंदगियों से सीख लेते हुए आगे बढ़ें.
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उस दौर में 15 साल के शी जिनपिंग ने येनान प्रांत में खेती-किसानी की शुरुआत की. उस दौरान युवाओं को मुश्किल भरी जिंदगी गुजारनी पड़ी. गुफाओं में रहना पड़ा. येनान प्रांत को वैसे भी चीनी कम्युनिस्टों का गढ़ माना जाता है.
शी जिनपिंग अपने पार्टी के पहले ऐसे जनरल-सेक्रेट्री हैं जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जन्में हैं. उनके पिता शी जोनगुन भी प्रसिद्ध कम्युनिस्ट नेता थे. जिनपिंग, चीनी कम्युनिस्टों की पांचवीं पीढ़ी के सर्वोच्च नेता हैं. पार्टी के संविधान में उनके विचारों को शामिल किया गया है और उनकी कल्ट पर्सनालिटी को दुनिया के सामने पेश किया गया है. भ्रष्टाचार के खिलाफ सफल अभियान चलाए जाने के कारण उनको भरपूर जन समर्थन भी मिला है.
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चीन की राजनीति
चीन की राजनीति में इस मौके को एक निर्णायक घड़ी के रूप में देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि चीन तेजी से दुनिया का सुपरपावर बनने की रेस में सबसे तेजी से उभर रहा है. वैसे भी चीन ने अगले दशकों के लिए डबल डिजिट आर्थिक वृद्धि का लक्ष्य रखा है. चीन के गांवों का तेजी से शहरीकरण हो रहा है.
जननायक छवि
वैसे चीन के बारे में यह कहा जाता है कि वह अपने नेता की छवि को बेहद करीने से पेश करता है. इस बात पर भी पैनी नजर रखता है कि नेता के बारे में क्या कहा जाता है. इसी कारण शी जिनपिंग खुद को पीली मिट्टी का बेटा कहते हैं. उनको महान शख्स के रूप में पेश किया गया है. उनको लंच के लिए कतार में खड़े देखा जाता है. वह अपना बिल खुद भरते हैं. मोहल्ले के गली-कूचों में घूमते हैं और जनता की जुबान में बात करते हैं. इस तरह की कल्ट पर्सनालिटी के बीच उनकी असल जिंदगी के बारे में बाहरी दुनिया को ज्यादा कुछ पता नहीं है.
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अंतर्मुखी व्यक्तित्व
शी को अपने काम को संजीदा ढंग से करने वाले बेहद महत्वाकांक्षी नेता के रूप में जाना जाता है. वो अपने पिता की वजह से बचपन से ही कम्युनिस्ट पार्टी की राजनीति को बेहतर ढंग से समझते थे. इसलिए 21 साल की उम्र में जब उन्होंने सियासत में कदम रखा तो उसके बाद से ही खुद के दामन को किसी भी प्रकार के दाग से बचाए रखने के लिए हमेशा जतन किए. राष्ट्रपति बनने से पहले वो इतने अंतर्मुखी राजनेता के रूप में जाने जाते थे जो बोरियत की हद तक खामोश शख्स थे. वो केवल अपने काम से काम रखने वाले बेहद लो प्रोफाइल नेता थे. इसलिए जब 2012 में उनकी पार्टी का नेता चुना गया तो किसी ने कोई विरोध नहीं किया लेकिन पांच साल के भीतर ही वह चीनी समाज के जेहन में छा गए हैं. अब यदि कम्युनिस्ट पार्टी के प्रस्ताव पर मुहर लग जाती है तो उनके लिए आगे की राह बहुत आसान होगी. फिलहाल चीनी सियासत में उनकी मुखालफत करने वाला दूर-दूर तक कोई नहीं है. हालांकि यह भी कहा जा रहा है कि यदि यह प्रस्ताव पारित होता है तो आने वाले वर्षों के लिहाज से चीनी कम्युनिस्ट पार्टी कमजोर होगी और पार्टी के मुकाबले व्यक्ति मजबूत होगा.