बीजिंग (Beijing) द्वारा किए नए दावे में कहा गया है कि चीनी वैज्ञानिकों ने कोविड-19 की उत्पत्ति स्थल का पता लगाने के लिए वायरसों की वंशावली की पड़ताल (Phylogenetic analysis)का सहारा लिया.
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नई दिल्ली: दुनिया को एक वायरस के जरिए बेचैन करने वाला चीन (China) अब हर मोर्चे पर घिरता जा रहा है. कोरोनावायरस की उत्पत्ति (Coronavirus origin) को लेकर अब तक आई थ्योरी के मुताबिक कोरोना वायरस चीन की लैब में पैदा हुआ और वुहान की एक मार्केट के जरिए पूरी दुनिया में फैल गया. इस मामले में खुद को पाक-साफ बताने की कोशिश कर रहे चीन ने खुद की बदनामी से ध्यान हटाने के लिए नया पैंतरा अपनाया है. दरअसल अपने ताजा बयान में शी प्रशासन ने अपने वैज्ञानिकों के हवाले से ये आरोप लगाया है कि कोरोना वायरस की उत्पत्ति भारत में हुई. जबकि इसके पहले बीजिंग का कहना था कि ये घातक कोरोना वायरस (Coronavirus) यूरोप में पैदा हुआ.
चीन की चोरी और सीनाजोरी
चीन की साइंस अकादमी (Chinese Academy of Sciences) के शोधकर्ताओं ने इस बार कुतर्क करते हुए कहा कि हो सकता है कि कोरोना वायरस का जन्म साल 2019 की गर्मियों के सीजन में भारत में हुआ हो. इस आरोप को लगाने के लिए चीनी वैज्ञानिकों ने जानवरों और प्रदूषित पानी की थ्योरी सामने रखी है. उन्होंने कहा कि इसके बाद ये वायरस वुहान पहुंचा, जहां पहली बार कोरोना वायरस की पहचान हुई और इस पर दुनिया का ध्यान गया.
पहले यूरोप पर लगा था आरोप
इससे पहले चीन की सरकार, प्रशासन और वैज्ञानिक सब बिना सबूत एक सुर में इटली, अमेरिका और यूरोप को कोरोना का ओरिजन प्लेस बताकर बदनाम करने की कोशिश कर रहे थे. ऐसे में चीन और भारत के बीच सीमा को लेकर लंबे समय से जारी तनाव और गलवान में मुंह की खाने के बाद चीन इस बार अपने वैज्ञानिकों के हवाले से भारत को घेरने की कोशिश कर रहा है.
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चीनी रिसर्च पेपर में हुआ अध्यन
अपनी करतूत को छिपाने के लिए बीजिंग (Beijing) द्वारा किए नए दावे में कहा गया है कि चीनी वैज्ञानिकों ने कोविड-19 की उत्पत्ति स्थल का पता लगाने के लिए वायरसों की वंशावली की पड़ताल (Phylogenetic analysis)का सहारा लिया. स्टडी में चीनी वैज्ञानिकों ने ये भी लिखा कि वायरस यानी जीवाणु, कोशिकाओं की तरह उत्तपन्न होने के साथ अपना रूप बदलते रहते हैं. यानी वायरस के डीएनए में खुद को परिवर्तन करने का संकेत मिलता है.
वुहान का वायरस असली
वैज्ञनिकों ने स्वीकार किया कि वुहान में सामने आया वायरस ही कोरोना वायरस था. लेकिन कोरोना के ओरिजन प्वाइंट यानी उत्पत्ति स्थल को लेकर बांग्लादेश, अमेरिका, ग्रीस, ऑस्ट्रेलिया, भारत, इटली, चेक रिपबल्कि, रूस या सर्बिया जैसे आठ देशों को भी अपने स्तर पर पड़ताल करनी चाहिए.
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चीन का अजब-गजब तर्क
शोधकर्ताओं ने अपनी स्टडी में तर्क दिया कि भारत और बांग्लादेश दोनों जगह कोरोना वायरस के स्वरूप में कम यानी मामूली बदलाव हुआ और दोनों देश भौगोलिक रूप से भी एक दूसरे के नजदीकी हैं, इसलिए संभव है कि कोरोना का पहला संक्रमण का मामला वहीं सामने आया हो.
चीनी वैज्ञानिकों के शोध में ये भी कहा गया कि भारत में स्वास्थ्य सेवाएं काफी लचर स्थिति में हैं और युवाओं की वजह से ये संक्रमण कई महीनों तक बिना किसी को पता लगे फैलता रहा हो.
इससे पहले की थ्योरी के मुताबिक माना जाता रहा है कि कोरोना वायरस पहली बार दिसंबर 2019 में चीन में सामने आया. और ये चीन के सी फूड की मार्केट से फैला और शुरुआत में इस वायरस के संक्रमण के लक्षण लगभग निमोनिया की बीमारी जैसे थे.
WHO की प्रतिक्रिया
विश्व स्वास्थ्य संगठन के शीर्ष आपातकालीन विशेषज्ञ ने शुक्रवार को कहा कि फिलहाल यह कहना कि कोरोनोवायरस चीन में नहीं पैदा हुआ ये कहना सही नहीं होगा. बिना सबूत के ऐसा कहना सिर्फ कयास लगाना ही होगा. वैश्विक संस्था के वरिष्ठ अधिकारी ने ये भी कहा कि WHO ने वायरस उत्पत्ति की जांच के लिए शोधकर्ताओं को वुहान के फूड मार्केट भेजने का मन बनाया था.
अमेरिका ने 'WHO' पर जताई थी नाराजगी
अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन कोरोना वायरस को लेकर कई बार चीन को दोषी ठहरा चुका है. वहीं ट्रंप प्रशासन ने WHO पर चीन का पक्ष लेने और कोरोना को लेकर शुरुआती दौर में सही फैसला न लेने का आरोप लगाते हुए संगठन की प्रासंगिकता पर भी सवाल उठा दिए थे.
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