चार दिन बाद भी Suez Canal से नहीं निकल पाया है जापानी जहाज, भारत अब Cape of Good Hope से गुजारेगा अपने शिप
स्वेज नहर (Suez Canal) में जापान का मालवाहक जहाज फंसने से पूरी दुनिया का व्यापार प्रभावित होने लगा है. भारत ने हालात से निपटने और अपने जहाजों को निकालने के लिए प्लान बनाया है.
काहिरा: स्वेज नहर (Suez Canal) में जापान के मालवाहक जहाज फंसने का असर पूरी दुनिया के ट्रेड पर पड़ने लगा है. इस जहाज को फंसे हुए 4 दिन हो चुके हैं लेकिन अब तक उसे निकालकर सीधा नहीं किया जा सका है.
भारतीय व्यापार पर भी ब्लॉकेज का असर
स्वेज नहर (Suez Canal) में हुए इस ब्लॉकेज का असर भारतीय व्यापार पर भी पड़ रहा है. सरकार ने इस संकट से निपटने के लिए कार्य योजना बनाई है. दूसरे देशों से आयात-निर्यात में लगे भारतीय मालवाहक जहाजों को स्वेज नहर के जाम से बचने के लिए केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) से जाने की सलाह दी जा रही है. भारत सरकार ने यह योजना शुक्रवार को एक हाई लेवल मीटिंग के बाद बनाई. इस मीटिंग में वाणिज्य मंत्रालय (Ministry of Commerce and Industry) के लॉजिस्टिक विभाग के अफसर और कई अन्य लोग शामिल हुए. इस बैठक में दूरी बढ़ने पर माल भाड़ा दरों में बढ़ोतरी, कार्गो की प्राथमिकता और नए रूट के बारे में चर्चा की गई.
वाणिज्य मंत्रालय ने हालात पर की बैठक
वाणिज्य मंत्रालय की इस बैठक की अध्यक्षता विभाग के विशेष सचिव (रसद) पवन अग्रवाल ने की. उनके साथ ही पोर्ट्स- शिपिंग, ADG शिपिंग, कंटेनर शिपिंग लाइन्स एसोसिएशन (CSLA) और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) के पदाधिकारी भी बैठक में शामिल हुए. बैठक में जानकारी दी गई कि स्वेज नहर के उत्तर और दक्षिण में 200 से अधिक जहाज ब्लॉकेज खुलने का इंतजार कर रहे हैं. वहां रोजाना पहुंचने वाले करीब 60 जहाज इस कड़ी में और जुड़ते जा रहे हैं.
करीब एक सप्ताह का वक्त लगेगा
बैठक में इस बात पर चर्चा की गई कि यदि नहर को और चौड़ा करके जहाज को अगले दो दिनों में सीधा भी कर दिया जाता है, तभी भी स्वेज नहर (Suez Canal) में यातायात बहाल होने में एक सप्ताह का वक्त लग जाएगा. तब तक जाम में जहाजों की संख्या 350 हो चुकी होगी. ऐसे में हालात की गंभीरता से निगरानी की जरूरत है. बैठक में तय किया गया कि FIEO, MPEDA और APEDA मिलकर शिपिंग कार्गो के मूवमेंट की प्राथमिकता देंगी. जो जहाज केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) से जा सकते होंगे, उन्हें स्वेज नहर से जाने की सलाह नहीं दी जाएगी. CSLA ने आश्वासन दिया सभी फ्रेट कार्गो पर पहले के कांट्रेक्ट ही लागू रहेंगे.
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केप ऑप गुड होप से जाएंगे जहाज
मंत्रालय ने कहा कि एक बार रुकावट खत्म हो जाने के बाद जेएनपीटी, मुंद्रा और हजीरा के बंदरगाहों पर कुछ बंचिंग हो सकती है. अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि वे जल्द ही एक अडवाइजरी करेंगे. जिसमें आने वाले वक्त में इन बंदरगाहों पर बिजी पीरियड के दौरान अतिरिक्त इंतजाम करने के लिए कहा जाएगा. इसके अलावा, CSLA को निर्देश दिया जाएगा कि वह केप ऑफ गुड होप (Cape of Good Hope) के जरिए जहाजों के आने-जाने की सहूलियत का पता लगाए. मंत्रालय ने कहा कि केप ऑप गुड होप से जाने पर जहाजों को 15 दिनों का एक्स्ट्रा टाइम लगाना होगा.
भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है नहर
बताते चलें कि स्वेज नहर (Suez Canal) इजिप्ट (Egypt) में एक कृत्रिम समुद्र-स्तरीय जलमार्ग है. यह नहर भूमध्य सागर को लाल सागर से जोड़ती है और एशिया-यूरोप के बीच सबसे छोटा समुद्री लिंक प्रदान करती है. मंगलवार को जापान का 224,000 टन का कंटेनर जहाज स्वेज नहर में जा रहा था. तभी हवा के तेज झोंकों की वजह से जहाज पानी में घूम गया और पूरी नहर को ब्लॉक कर दिया. इसी के साथ सबसे व्यस्त रहने वाला दुनिया का यह जलमार्ग पूरी तरह से अवरुद्ध हो गया है. इस नहर के ब्लॉक होने की वजह से तेल से लेकर उपभोक्ता वस्तुओं तक के कार्गो ले जाने वाले जहाज जाम में फंसे पड़े हैं.
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ग्लोबल ट्रेड पर पड़ रहा है असर
स्वेज नहर (Suez Canal) की यह रुकावट अब ग्लोबल ट्रेड को बुरी तरह प्रभावित कर रही है. वाणिज्य- उद्योग मंत्रालय के मुताबिक भारत इस नहर के जरिए उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका और यूरोप से 200 बिलियन अमरीकी डालर के सामान का आयात-निर्यात करता है. इस ट्रेड में पेट्रोलियम सामान, कार्बनिक रसायन, लोहा, इस्पात, ऑटोमोबाइल, मशीनरी, कपड़ा, कालीन, हस्तशिल्प सहित फर्नीचर, चमड़े का सामान आदि शामिल हैं. स्वेज नहर संकट के कारण अब इस व्यापार में दिक्कत आ रही है.