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नई दिल्लीः यूएस बेस्ड आईटी फर्म कॉग्निजेंट भी अब इन्फोसिस की तरह ट्रंप प्रशासन को खुश करने के लिए अपनी कंपनी में अमेरिकी कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने जा रही है. कॉग्निजेंट के करीब 2.61 लाख कर्मचारी हैं, जिनमें से अधिकतर भारत में हैं. ट्रंप प्रशासन ने अमेरिकी नागरिकों को रोजगार देने की बजाय जॉब आउटसोर्सिंग को लेकर कंपनी की आलोचना की थी.
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कंपनी अब अधिक स्थानीय कर्मचारियों को हायर कर रही है और H-1B वीजा पर निर्भरता कम करने की कोशिश में है. कॉग्निजेंट के प्रेजिडेंट राजीव मेहता ने बताया कि कंपनी अमेरिकी कार्यबल में इजाफा करने जा रही है. इसने 2016 में 4,000 अमेरिकी नागरिकों को नौकरी दी थी.
गौरतलब है कि अमेरिका में वीजा संबंधी मुद्दों से पार पाने के लिये सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की प्रमुख भारतीय कंपनी इनफोसिस ने भी कुछ दिन पहले ऐलान किया था कि कंपनी अगले दो साल के दौरान 10,000 अमेरिकियों को नौकरी देगी. इसके अलावा कंपनी वहां चार प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष केन्द्रों की भी स्थापना करेगी.
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इनफोसिस के इस फैसले का अमेरिकी सरकार ने ये कहते हुए स्वागत किया था कि ये अमेरिका के विकासोन्मुखी एजेंडे का परिणाम है. व्हाइटहाउस के प्रवक्ता निनियो फेतालवो ने अपने बयान में कहा था कि ‘‘हमें खुशी है कि इंफोसिस जैसी कंपनियों को अमेरिका की अर्थव्यवस्था में फिर से मौके नजर आ रहे हैं. ’
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आपको बता दें कि पिछले कुछ हफ्तों में अमेरिका समेत विभिन्न देशों में संरक्षणवाद को बढ़ावा मिल रहा है. इन देशों में स्थानीय लोगों को नौकरियों में ज्यादा-से-ज्यादा हिस्सेदारी सुनिश्चित करने के लिए विदेशी इंजिनियरों को रोका जा रहा है. अमेरिका ने इन्फोसिस और इसकी बड़ी प्रतिस्पर्धी कंपनी टाटा कंसल्टंसी सर्विसेज (टीसीएस) पर भी भेदभाव का आरोप लगाया.