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वॉशिंगटन: कोरोना (Coronavirus) से जंग में अहम हथियार माने जा रहे पल्स ऑक्सीमीटर (Pulse Oximeters) को लेकर एक चौंकाने वाला दावा किया गया है. पल्स ऑक्सीमीटर का इस्तेमाल शरीर में ऑक्सीजन लेवल (Oxygen Level) का पता लगाने के लिए किया जाता है. दिल्ली की केजरीवाल सरकार (Kejriwal Government) ने अस्पताल पर बढ़ते बोझ को कम करने के लिए कोरोना रोगियों को यह डिवाइस उपलब्ध करवाई थी, ताकि वे घर पर ही ऑक्सीजन लेवल की जांच कर सकें. सरकार ने हजारों ऑक्सीमीटर बांटे थे, लेकिन अब जो दावा किया जा रहा है उसने सभी को हैरान कर दिया है.
अमेरिका के फूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (US Food and Drug Administration) का कहना है कि पल्स ऑक्सीमीटर सांवले (Dark Skin) लोगों के मामले में कारगर नहीं है. अमेरिकी विभाग ने दावा किया है कि डार्क स्कीन वाले लोगों का ऑक्सीजन स्तर नापने के दौरान ऑक्सीमीटर गलत परिणाम दे सकते है. हालांकि, FDA ने कहा कि ऑक्सीमीटर्स रक्त में ऑक्सीजन की माप के लिए उपयोगी है, लेकिन इसकी कुछ लिमिटेशन भी हैं.
संघीय एजेंसी ने कहा कि ऐसा सामने आया है कि कई फैक्टर ऑक्सीमीटर रिडिंग की सटीकता को प्रभावित कर सकते हैं. जिसमें स्किन पिगमेंटेशन (Skin Pigmentation), स्किन थिकनेस (Skin thickness), स्किन का तापमान (Skin Temperature), तंबाकू का उपयोग और यहा तक नेल पॉजिश शामिल हैं. FDA ने अपने बयान में कहा कि कोरोना पीड़ित ऐसे मरीज जो घर पर अपनी स्थिति की निगरानी कर रहे हैं, उन्हें अपनी स्थिति के सभी संकेतों एवं लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए और किसी भी तरह की परेशानी होने पर बात करनी चाहिए.
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एजेंसी ने सलाह दी है कि रोगियों को अपने चेहरे, होठों या नाखूनों के रंग, सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द और पल्स रेट में होने वाले बदलावों पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है. कम ऑक्सीजन स्तर वाले कुछ रोगियों में ये सभी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं, ऐसे में इसकी पहचान केवल डॉक्टर ही कर सकता है. गौरतलब है कि अमेरिकी सेंटर फॉर डिसीज प्रिवेंशन एंड कंट्रोल (CDC) ने भी शोध के आधार पर कहा है कि स्किन पिगमेंटेशन पल्स ऑक्सीमीटर की सटीकता को प्रभावित कर सकती है.