यूरी गगारिन (Yuri Gagarin) को एक ऐसे स्पेसक्राफ्ट के जरिए अंतरिक्ष यात्रा पर भेजा गया जिसमें किसी भी इमरजेंसी से बचने के लिए कोई संसाधन मौजूद नहीं था, लेकिन इसके बावजूद वो डरे नहीं.
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नई दिल्ली: आज हम आपको अतंरिक्ष की सबसे पहली यात्रा के बारे में बताएंगे. 60 साल पहले, पहली बार किसी इंसान ने अंतरिक्ष की यात्रा की थी. इस यादगार समय को याद करने के लिए रूस में 500 ड्रोन्स आसमान में उड़ाए गए.
आकाश में ये ड्रोन्स अंतरिक्ष में इंसान के पहुंचने के हर स्टेप को दिखा रहे थे. पहले रॉकेट को आकाश में ऊपर जाते हुए दिखाया गया, इसके बाद अंतरिक्ष स्टेशन तक पहुंचने के हर चरण को ये ड्रोन्स एक खास तरह का चित्र बना कर दिखा रहे थे और अलग-अलग रंगों के जरिए इंसान के अंतरिक्ष में पहुंचने की कहानी को भी दिखाया गया.
12 अप्रैल 1961 को यूरी गगारिन (Yuri Gagarin) अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले पहले इंसान बने थे और उन्होंने ये काम सिर्फ 27 साल की उम्र में कर दिखाया था. उन्होंने अंतरिक्ष में 40 हजार 868 किलोमीटर की यात्रा की थी और तब से हर साल 12 अप्रैल को International Day of Human Space Flight के तौर पर मनाया जाता है.
असल में यूरी गगारिन सोवियत रूस एयरफोर्स के पायलट थे. उनकी इस उपलब्धि को दुनिया ने अमेरिका पर सोवियत रूस की जीत का चैप्टर भी माना क्योंकि, उस दौर में अमेरिका और रूस के बीच अंतरिक्ष में सबसे पहले पहुंचने की जंग छिड़ी थी. यूरी गगारिन ने अंतरिक्ष से लौटकर जैसे ही पृथ्वी पर कदम रखा तो ये जीत और पक्की हो गई.
ये स्पेस क्राफ्ट एक कैप्सूल की तरह था और यूरी गगारिन रूस के मिशन के लिए भाग्यशाली साबित हुए. उनसे पहले रूस ने इस मिशन को पूरा करने की कई कोशिशें की थीं, लेकिन उसे सफलता नहीं मिली.
यूरी गगारिन को एक ऐसे स्पेसक्राफ्ट के जरिए अंतरिक्ष यात्रा पर भेजा गया जिसमें किसी भी इमरजेंसी से बचने के लिए कोई संसाधन मौजूद नहीं था, लेकिन इसके बावजूद वो डरे नहीं.
अब हम आपको बताते हैं कि यूरी गगारिन में ऐसी कौन सी बात थी. जिससे उन्हें ही इस मिशन के लिए चुना गया.
12 अप्रैल 1961 इस एक लम्हे ने इतिहास रच दिया. 27 साल का एक नौजवान अंतरिक्ष से पृथ्वी को देख रहा था और धरती तक आंखों देखा हाल सुना रहा था. ये किसी इंसान की पहली अंतरिक्ष यात्रा थी. इसी के बाद अंतरिक्ष जाने का युद्ध शुरू हुआ.
यूरी गगारिन के हौसले ने जो इतिहास लिखा उसपर 60 साल बाद रूस दीवाली मना रहा है. उनका परिवार के लिए आज का दिन किसी बेशकीमती तोहफे की तरह है.
यूरी गगारिन का जन्म 9 मार्च 1934 को हुआ. उनका परिवार मास्को से 180 किलोमीटर दूर टाउन ऑफ क्लुशिनो में रहता था. उनका पूरा घर दूसरे विश्व युद्ध के दौरान तबाह हो गया. 1971 में गगारिन ने फिर से नया घर तैयार किया. जो आज उनके म्यूजियम में बदल दिया गया है. यहां यूरी गगारिन से जुड़ी कई यादें मौजूद हैं. जैसे कि ये स्विंग क्रैडल, रशियन स्टोव और ये व्हील. आज इस म्यूजियम की देखरेख की जिम्मेदारी यूरी गगारिन भतीजी तमारा के पास है.
यूरी गगारिन के पायलट बनने के पीछे की कहानी भी बहुत दिलचस्प है. वो रूस के जिस हिस्से में रहते थे वहां जर्मनी की नाज़ी सेना का कब्जा था. एक दिन यूरी गगारिन की नजर आसमान में होने वाली दो फायटर प्लेन की युद्ध पर पड़ी. दोनों प्लेन ने एक दूसरे पर हमला कर दिया. रूस की प्लेन क्लूशिनो के इलाके में गिरी जहां लोगों ने पायलट की जान बचाई.
यूरी गागरिन उस पायलट को देखने पहुंचे. जहां रूसी सेना की रेस्क्यू टीम उसे दूसरे प्लेन में ले जा रही थी. पायलट की सूट और बड़े-बड़े प्लेन ने गागरिन के दिल दिमाग में घर बना लिया. तभी गागारिन ने फैसला कर लिया वो भी एक दिन पायलट ही बनेंगे. गागरिन से पहले जर्मन टीटोव अंतरिक्ष की उड़ान भरने वाले थे लेकिन नाकाम रहे. जर्मन टीटोव की उम्र 59 साल थी. उस वक्त गागरिन युवा थे. इसलिए अंतरिक्ष मे जाने के लिए उन्हें चुना गया.
जरा सोचिए. अगर यूरी गागरिन इस मिशन पर न गए होते तो आज भी अंतरिक्ष की यात्रा एक साइंस फिक्शन फिल्म की तरह लगती.