DNA ANALYSIS: E-mail भेजने या पढ़ने से आपको भी होता है तनाव? सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
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DNA ANALYSIS: E-mail भेजने या पढ़ने से आपको भी होता है तनाव? सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

ई-मेल कुछ समय पहले तक लोगों के लिए एक तरह का नया पता बन गया था. लोग सबसे पहले दूसरों को अपनी ई-मेल आईडी नोट करवाते थे, लेकिन अब लोगों ने डिजिटल दुनिया के अपने इस घर का पता बदल लिया है और अब वाट्सऐप और टेलीग्राम नए पते में बदल गए हैं. 

DNA ANALYSIS: E-mail भेजने या पढ़ने से आपको भी होता है तनाव? सर्वे में हुआ चौंकाने वाला खुलासा

नई दिल्ली: एक अमेरिकी कंपनी द्वारा किए गए सर्वे के मुताबिक, नई पीढ़ी अब ई-मेल का इस्तेमाल धीरे-धीरे कम कर रही है. खासकर तीस वर्ष से कम उम्र के लोगों के बीच ई-मेल की लोकप्रियता तेजी से कम हो रही है और ये लोग अब संचार के दूसरे माध्यमों का इस्तेमाल करने लगे हैं. इनमें वाट्सऐप, टेलीग्राम, गूगल डॉक्स और जूम जैसे प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं.

  1. नई पीढ़ी को ई-मेल पढ़ना और भेजना बोरिंग और तनाव भरा काम लगता है.
  2. तनाव काम के दौरान प्रोडक्टिविटी के कम रह जाने की सबसे बड़ी वजह है. 
  3. कर्मचारियों तक ये तनाव ज्यादातर ई-मेल के जरिए ही पहुंचता है. 
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ई-मेल पढ़ना और भेजना तनाव की वजह

इस सर्वे के मुताबिक नई पीढ़ी को ई-मेल पढ़ना और भेजना बोरिंग और तनाव भरा काम लगता है. तनाव काम के दौरान प्रोडक्टिविटी के कम रह जाने की सबसे बड़ी वजह है. डेलॉयट नामक एक कंपनी के सर्वे के मुताबिक, वर्ष 2020 में 46 प्रतिशत लोगों ने माना था कि उन्हें काम के दौरान बहुत तनाव होता है और 35 प्रतिशत लोग तो ऐसे थे, जिन्होंने तनाव और बेचैनी की वजह से काम से छुट्टी ले ली थी.

इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स ने ली जगह

कर्मचारियों तक ये तनाव ज्यादातर ई-मेल के जरिए ही पहुंचता है. इसलिए अब लोग ई-मेल की जगह इंस्टेंट मैसेजिंग के दूसरे प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने लगे हैं.

ई-मेल कुछ समय पहले तक लोगों के लिए एक तरह का नया पता बन गया था. लोग सबसे पहले दूसरों को अपनी ई-मेल आईडी नोट करवाते थे, लेकिन अब लोगों ने डिजिटल दुनिया के अपने इस घर का पता बदल लिया है और अब वाट्सऐप और टेलीग्राम नए पते में बदल गए हैं. ई-मेल संवाद का एक लंबा और बहुत औपचारिक तरीका है. जिसकी तुलना आप क्रिकेट के किसी टेस्ट मैच से कर सकते हैं, लेकिन अब T-20 का जमाना है और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लोग अब टेक्सटिंग को प्राथमिकता दे रहे हैं.

औसतन 200 ई-मेल्स कभी पढ़ी ही नहीं जातीं

वैसे अब भी दुनिया के 53 प्रतिशत यानी करीब 400 करोड़ लोग किसी न किसी काम के लिए ई-मेल का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन सच ये है कि हर व्यक्ति को जितनी ई-मेल आती हैं, उनमें से औसतन 200 ई-मेल्स कभी पढ़ी ही नहीं जातीं.

दुनिया का सबसे पहला ई-मेल 

 ई-मेल की लोकप्रियता में आई ये कमी हमें ये भी बताती है कि दुनिया में कोई चीज सबसे स्थायी है तो वो है बदलाव और जब कोई खुद में बदलाव नहीं कर पाता तो वो प्रासंगिक नहीं रह जाता. टेलीग्राम, चिट्ठियों और ई-मेल का अंत इसी का सबसे बड़ा उदाहरण है.

दुनिया का सबसे पहला ई-मेल वर्ष 1971 में रे टॉमलिनसन ने खुद को ही भेजा था. उन्होंने एक ही कमरे में रखे दो कंप्यूटर्स के बीच इलेक्ट्रॉनिक कम्युनिकेशन के लिए एक विशेष सॉफ्टवेयर बनाया गया था, इसके जरिए उन्होंने खुद को ई-मेल किया था.

आपको जानकर हैरानी होगी कि उस वक्त जो ई-मेल भेजा गया था वो आजकल के इंस्टेंट मैसेज जैसा कम अक्षरों वाला था. पहले ई-मेल में जो संदेश लिखा गया था, वो था- QWERTY-IOP. इस शब्द का कोई मतलब नहीं है. आम तौर पर कम्प्यूटर के कीबोर्ड में अंग्रेजी अक्षरों की शुरुआत QWERTY से ही होती है.

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