DNA ANALYSIS: अमेरिका में दंगे बनकर भड़की नस्लीय नफरत ?
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DNA ANALYSIS: अमेरिका में दंगे बनकर भड़की नस्लीय नफरत ?

  अमेरिका के मिनेपोलिस (Minneapolis) शहर में 25 मई को पुलिस द्वारा एक अश्वेत अमेरिकी की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी. इस अश्वेत अमेरिकी का नाम जॉर्ज फ्लायड (George Floyd) था. जॉर्ज फ्लायड  की हत्या के बाद अमेरिका का अश्वेत समुदाय सड़कों पर उतर आया.

DNA ANALYSIS: अमेरिका में दंगे बनकर भड़की नस्लीय नफरत ?

नई दिल्ली:  अमेरिका के मिनेपोलिस (Minneapolis) शहर में 25 मई को पुलिस द्वारा एक अश्वेत अमेरिकी की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी. इस अश्वेत अमेरिकी का नाम जॉर्ज फ्लायड (George Floyd) था. जॉर्ज फ्लायड  की हत्या के बाद अमेरिका का अश्वेत समुदाय सड़कों पर उतर आया. इस दौरान कुछ लोगों ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन किया तो कुछ लोगों ने आगजनी और लूटपाट कर प्रदर्शन किया. कहा जा रहा है कि वर्ष 1968 में अमेरिका के क्रांतिकारी नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या के बाद से यह अब तक के सबसे बड़े दंगे हैं.

अमेरिका में हजारों लाखों की संख्या में अश्वेत समुदाय के लोग अपनी ही सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन अब अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी  तक पहुंच चुके हैं. उग्र प्रदर्शनकारियों को देखते हुए व्हाइट हाउस के बाहर लोहे की ऊंची-ऊंची जालियां लगा दी गई हैं. अमेरिका के तमाम शहरों में अश्वेत प्रदर्शनकारी आई कैन ब्रीथ (I cant Breath) और Black Lives Matter के नारे लगा रहे हैं.

विरोध प्रदर्शन अमेरिका के 75 शहरों में फैल चुका है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने उग्र प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए सेना के इस्तेमाल की चेतावनी भी दी है. इस समय अमेरिका के 23 राज्यों की सड़कों पर करीब 16 हजार नेशनल गॉर्ड  मौजूद हैं. नेशनल गॉर्ड अमेरिका की सेना का वह अंग है जिसे घरेलू आपातकाल की स्थिति में हालात नियंत्रित करने के लिए बुलाया जाता है.

कुल मिलाकर कोरोना वायरस जैसी महामारी के बीच अमेरिका में अभूतपूर्व हालात पैदा हो गए हैं और अमेरिका से शुरू हुए यह विरोध प्रदर्शन अब दुनिया के कई हिस्सों में फैलने लगे हैं. लंडन, डेनमार्क, बर्लिन और न्यूजीलैंड में प्रदर्शन हो रहे हैं.

 

अमेरिका से आ रही तस्वीरों को अपने देश में भी कुछ लोग हिंसा का आधार बनाना चाहते हैं. टुकड़े-टुकड़े गैंग, डिजाइनर पत्रकार और बुद्धिजीवी अमेरिका की आलोचना करने की बजाय भारत के दलितों और मुसलमानों को भड़का रहे हैं. कह रहे हैं कि उन्हें भी अपनी सरकार के खिलाफ ऐसे ही प्रदर्शन करने चाहिए. ये गिद्ध गैंग है. यह लोग ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्योंकि इनका करियर भारत की बदनामी पर ही टिका है. यह लोग अमेरिका की आलोचना इसलिए नहीं कर रहे क्योंकि इन्हें अमेरिका जैसे देशों से ना सिर्फ आर्थिक प्रलोभन मिलता है बल्कि इन लोगों को अमेरिका और चीन जैसे देशों से रोजगार, स्कॉलरशिप और घूमने-फिरने के लिए फ्री की टिकटें भी मिलती हैं. अमेरिका की आलोचना करते ही यह सारी सुविधाएं बंद हो जाएंगी.

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