कभी दुनिया से यहूदियों का नामोनिशान मिटा देने का सपना देखने वाले जर्मन तानाशाह, एडोल्फ हिटलर का जन्म जिस घर में हुआ था, वहां से हिटलर का नामोनिशान मिटाने की तैयारी शुरू हो चुकी है.
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नई दिल्ली : कभी दुनिया से यहूदियों का नामोनिशान मिटा देने का सपना देखने वाले जर्मन तानाशाह, एडोल्फ हिटलर का जन्म जिस घर में हुआ था, वहां से हिटलर का नामोनिशान मिटाने की तैयारी शुरू हो चुकी है. ऑस्ट्रिया की सरकार ने तय किया है कि हिटलर के घर को पुलिस थाने में बदला जाएग.
ऑस्ट्रिया और जर्मनी की सीमा के पास स्थित ब्रउनो ( Braunau) शहर में तीन मंजिला घर की ऊपरी मंजिल पर हिटलर का परिवार किराए पर रहता था. जहां पर 20 अप्रैल 1889 को हिटलर का जन्म हुआ था. हालांकि हिटलर ने इस घर में बहुत कम समय बिताया था. हिटलर के जन्म के कुछ हफ्तों बाद ही उसके परिवार ने किराये के इस घर को छोड़ दिया था. लेकिन नाजी शासन के दौरान इस घर को हिटलर का स्मारक बना दिया गया. वर्ष 1944 में नाजी शासन खत्म होने के बाद इसे बंद कर दिया गया था. 30 अप्रैल 1945 को हिटलर ने आत्महत्या कर ली थी, लेकिन उसके प्रशंसक आज भी उसके घर को नाजी क्रांति के प्रतीक के रूप में देखते हैं.
हिटलर का घर, उसके प्रशंसकों और नाजियों के लिए तीर्थ स्थल ना बने, इसलिए ऑस्ट्रिया की सरकार इसे काफी लंबे वक्त से गिराने की योजना बना रही थी. लेकिन कुछ लोगों का कहना था कि हिटलर के घर को गिराने के बजाय, अन्य कामों में इसका इस्तेमाल होना चाहिए.
इसलिए ऑस्ट्रिया की सरकार ने पिछले वर्ष नवंबर में हिटलर के जन्मस्थान वाले घर को पुलिस थाने में बदलने की घोषणा की थी और अब ऑस्ट्रिया के मशहूर वास्तुकार, मार्टे ( Marte) हिटलर के घर को पुलिस थाने में बदलने का डिजाइन तैयार कर रहे हैं. रिडिजाइन करते वक्त घर को आधुनिक बनाया जाएगा, लेकिन मूल इमारत से छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। इनमें 50 लाख यूरो यानी करीब 42 करोड़ रुपये खर्च होंगे और वर्ष 2033 तक ये काम पूरा हो जाएगा. दुनिया के कुख्यात तानाशाह के जन्म की निशानी मिटाने की यह योजना काबिले तारीफ है । लेकिन ऑस्ट्रिया की सरकार के लिए यह काम इतना आसान नहीं था. इस घर के मालिकाना हक का भी एक लंबा इतिहास है .
शुरुआत में इस घर पर, जिस पोमर ( Pommer) परिवार का मालिकाना हक था, उससे वर्ष 1938 में हिटलर के निजी सचिव रहे, मार्टिन बोरमन ने ये घर खरीद लिया था. बाद में इस घर को ऑस्ट्रिया की सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया था. लेकिन फिर वर्ष 1954 में पोमर परिवार ने ऑस्ट्रिया की सरकार से ये घर वापस खरीद लिया था . तीन मंजिला इस घर के दुरुपयोग को रोकने के लिए ऑस्ट्रिया के गृह मंत्रालय ने वर्ष 1972 से इसे किराये पर लिया हुआ था. पहले यहां पर दिव्यांग बच्चों की देखभाल के लिए एक केयर सेंटर चलता था. लेकिन वर्ष 2011 से यह खाली पड़ा है. सरकार ने बाद में इस घर को खरीदने का प्रस्ताव रखा था जिसे घर के मालिक ने ठुकरा दिया था. वर्ष 2017 में ऑस्ट्रिया की अदालत ने ये फैसला दिया था कि अगर घर का मालिक, बेचने से मना करता है तो सरकार, उसे जब्त कर सकती है. इसके बाद इस घर को सरकारी नियंत्रण में लेने के लिए ऑस्ट्रिया की संसद में कानून पास हुआ. और तब जाकर इस कुख्यात मकान के मौजूदा मालिक के साथ चल रहा लंबा कानूनी झगड़ा खत्म हुआ. अब हिटलर के जन्मस्थान वाले इस घर को पुलिस थाने में बदलने का काम शुरु हो चुका है.