अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि ईरान 2015 में हुए परमाणु समझौते का पूरी तरह पालन कर रहा है. ट्रंप ने हालांकि कहा कि समझौता बेहद लचीला है और ईरान ने "कई बार समझौते का उल्लंघन किया."
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वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान के शासन को 'कट्टरपंथी' बताते हुए उसकी निंदा की है और अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते को प्रमाणित करने से इनकार कर दिया है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रंप ने शुक्रवार (13 अक्टूबर) को कहा कि वह इस समझौते को परामर्श के लिए कांग्रेस के पास भेज रहे हैं और अपने सहयोगियों से सलाह लेंगे कि इसमें क्या बदलाव किया जाए. उन्होंने ईरान पर आतंकवाद को प्रायोजित करने का आरोप लगाया और कहा कि वह ईरान को परमाणु हथियार के रास्ते पर नहीं चलने देंगे.
अंतर्राष्ट्रीय पर्यवेक्षकों का कहना है कि ईरान 2015 में हुए परमाणु समझौते का पूरी तरह पालन कर रहा है. ट्रंप ने हालांकि कहा कि समझौता बेहद लचीला है और ईरान ने "कई बार समझौते का उल्लंघन किया." उन्होंने कहा कि ईरान ने समझौते का उल्लंघन करते हुए अंतर्राष्ट्रीय निरीक्षकों को पूर्ण निरीक्षण नहीं करने दिया.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, "ईरान मौत, विनाश और अराजकता फैला रहा है." ट्रंप ने कहा कि ईरान परमाणु करार का सही प्रकार से पालन नहीं कर रहा, लेकिन फिर भी वह इसके तहत लाभ उठा रहा है. उन्होंने कहा कि परमाणु करार को लेकर उनकी नई रणनीति से यह समस्या दूर होगी. उन्होंने साथ ही कहा कि अमेरिका किसी भी समय इस समझौते से अलग होने का अधिकार रखता है.
ईरान ने ट्रंप के बयान को नकारा, कहा- परमाणु समझौते को 'एकतरफा' रद्द नहीं कर सकते
वहीं दूसरी ओर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2015 के अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते की प्रतिबद्धताओं और ईरानी बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम पर की गई आक्रामक टिप्पणियों को खारिज कर दिया है. समाचार एजेंसी सिन्हुआ के अनुसार, शुक्रवार (13 अक्टूबर) को ईरान के खिलाफ ट्रंप की आक्रामक टिप्पणियों के बाद रूहानी ने सरकारी टेलीविजन चैनल पर लाइव प्रसारण में कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ईरान के अंतर्राष्ट्रीय परमाणु समझौते को 'एकतरफा' निरस्त नहीं कर सकते. उन्होंने कहा, "ट्रंप को पता नहीं है कि यह अमेरिका और ईरान के बीच का द्विपक्षीय समझौता नहीं है और वह इसे अपने अनुसार नहीं चला सकते."
रूहानी ने कहा कि अमेरिकी राष्ट्रपति परमाणु करार को लेकर इसमें शामिल अन्य पक्षों के साथ सहयोग करने में नाकाम रहे हैं. रूहानी ने कहा कि ईरान तभी तक परमाणु समझौते का सम्मान करेगा, जब तक देश के राष्ट्रीय हित और अधिकार कायम रहेंगे. उन्होंने कहा, "हमने अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) के साथ सहयोग किया है और हम अपनी प्रतिबद्धता के दायरे में रहते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ की इस संस्था के साथ काम करते रहेंगे."