श्रीलंका में 26 अक्टूबर के बाद से ही राजनीतिक संकट बना हुआ है.
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कोलंबो: श्रीलंका के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना की तुलना हिटलर से करते हुए देश के अपदस्थ प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने मंगलवार को कहा कि वह आकस्मिक चुनावों से डरे हुए नहीं हैं बल्कि "तानाशाहों" के जनमत संग्रह के इस्तेमाल के खिलाफ हैं. श्रीलंका में 26 अक्टूबर के बाद से ही राजनीतिक संकट बना हुआ है. यह संकट तब शुरू हुआ जब राष्ट्रपति सिरिसेना ने प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे को हटा दिया और उनकी जगह महिंदा राजपक्षे को नियुक्त कर दिया.
बाद में राष्ट्रपति ने संसद को भंग कर दिया और पांच जनवरी को समय पूर्व चुनाव कराने का आह्वान किया. हालांकि, उच्चतम न्यायालय ने संसद भंग करने के सिरिसेना के फैसले को पलट दिया और आकस्मिक चुनाव की तैयारियों पर रोक लगा दी. विक्रमसिंघे ने कहा, ‘‘सरकार में हम सबने संविधान के रक्षा की शपथ ले रखी है. इसलिए हम संविधान की रक्षा करना चाहते हैं और संविधान का पालन करना चाहते हैं.’’
‘श्रीलंका मिरर’ ने विक्रमसिंघे के हवाले से कहा है, ‘‘हिटलर और दूसरे तानाशाहों की तरह मत बनिए, जिसने जनमत संग्रह का इस्तेमाल किया.’’ उन्होंने कहा, ‘‘जहां तक चुनाव की बात है, हमारी बस दो चिंताएं हैं. वैध सरकार होनी चाहिए तथा चुनाव की तारीख पर सभी दलों के बीच सर्वसम्मति होनी चाहिए.’’
इनपुट भाषा से भी